स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: 1 अगस्त यानी कि आज श्रावण शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस चतुर्थी को वैनायकी गणेश चतुर्थी भी कहते हैं। गणेश भक्तों के लिए इस दिन का विशेष महत्त्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की साधना करने से वो शीघ्र प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। आइये जानते है गणेश चतुर्थी पूजा की विधि और महत्त्व।
भगवान गणेश विघ्ननिवारण के लिए तो प्रसिद्ध हैं ही, प्रत्येक कामना भी इनकी उपासना से पूर्ति होती है। अगर कोई वास्तव में भगवान गणेश से शुभ-लाभ की आशा और समस्त कष्ट समाप्त करने की इच्छा करता है तो उसे उनकी प्रिय तिथि चतुर्थी पर विशेष पूजा करनी चाहिए। एक साल तक प्रत्येक चतुर्थी तिथि पर अगर भगवान गणेश की पूजा की जाए तो सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। पूजा प्रारंभ करने से पहले उनका निम्न मंत्र से ध्यान करें – गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥। हिंदू धर्म का कोई भी मांगलिक कार्य बिना गणपति की पूजा के पूर्ण नहीं होता है। इतना महत्त्व किसी अन्य देवी-देवता को नहीं प्राप्त है। गणेश का शाब्दिक अर्थ है –गणों के स्वामी। मानव शरीर, पांच कर्मेन्द्रियों, पांच ज्ञानेन्द्रियों और चार अंत:करण द्वारा संचालित होता है और इनके संचालित होने के पीछे जो शक्ति है, वह विभिन्न चौदह देवताओं की शक्ति है, जिनके मूल प्रेरणास्रोत हैं –भगवान गणेश।