क्या है पारसी नव वर्ष का इतिहास और परंपरा ?

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क्या  है पारसी नव वर्ष का इतिहास और परंपरा ?

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: भारत में पारसी नववर्ष 16 अगस्त यानी आज मनाया जा रहा है। पारसी समुदाय के लोग सालभर नववर्ष नवरोज का इंतजार करते हैं। इस दिन घर की साज-सजावट की जाती है और स्वादिष्ट पकवान बनाकर धूमधाम से इसे परिवार और दोस्तों के साथ मनाया जाता है।

पारसी नव वर्ष का इतिहास और परंपरा

पेरिस के लोग फारस के मूल निवासी हैं। उनका धर्म है पारसी। इसकी खोज जरथुस्त्र ने फारस में ही की थी। फारस के राजा जमशेद के नाम पर जमशेद-ए-नौरोज का नाम रखा गया है। पारसी नव वर्ष समारोह जमशेद-ए-नौरोज के नाम से भी प्रसिद्ध है। उन्होंने ही पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। पारसी लोगों ने 3000 साल पहले पारसी नव वर्ष के जश्न के साथ इसकी शुरुआत की थी। 

पारसी नव वर्ष को नवरोज के नाम से भी जाना जाता है। नव का अर्थ है नया और रोज का अर्थ है दिन अर्थात नवरोज। अंग्रेजी कैलेंडर में साल 365 दिनों का होता है, लेकिन पारसी समुदाय के लोग 360 दिनों का ही साल मानते हैं। बाकी के पांच दिन गाथा के रूप में मनाए जाते हैं। पांच दिन जब परिवार के सभी लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं, इसलिए उसे गाथा कहा जाता है।