सालों साल हजारों भेड़ों के साथ अपना घर छोड़कर जंगलों में है और दूर-दराज के इलाकों में घूमते हैं उपेंद्र पाल

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सालों साल हजारों भेड़ों के साथ अपना घर छोड़कर जंगलों में है और दूर-दराज के इलाकों में घूमते हैं उपेंद्र पाल

टोनी आलम, एएनएम न्यूज: खनन क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में पांडवेश्वर में भेड़ चरवाहे अक्सर भेड़ों के झुंड के साथ खेत में घूमते देखे जाते हैं। ये सभी जन्म से सुदूर बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले हैं। सालों साल हजारों भेड़ों के साथ अपना घर छोड़कर जंगलों में और दूर-दराज के इलाकों में घूमते हैं। उनका काम भेड़ों का निरीक्षण करना है। उन्होंने कहा कि यह खनन क्षेत्र के एक साहूकार की भेड़ है। उनका काम भेड़-बकरियों को चराना और उनके ऊन को इकट्ठा करके कंबल, आसन आदि बनाना है। वह सब वस्तुएँ मोहनन के हाथों से बनाई गईं और वह उन्हें साहुकार को दे देते हैं। और उनके साहूकार उन्हें व्यापारियों के हाथों बिक्री के लिए बाजार में भेजते हैं। इनके दल में पांच लोग हैं। धूप, पानी, बारिश, ठंड अक्सर एक छोटे से तंबू में खुले स्थानों में दिन और रात बिताते हैं। यह उनका जीवन है। कभी-कभी उन्हें उन जगहों पर रात बितानी पड़ती है जहां जहरीले सांपों का डर होता है, या रात में भेड़ का शिकार होता हैं और कभी-कभी रात में गीदड़ उन पर हमला कर देते हैं। उन्हें सभी खतरों से जुझकर उनको जीना पड़ता है। जी हां, उनकी टीम में दो खास कुत्ते हैं, उनका कहना है कि इनकी निगरानी में वह रात को चैन से सोते हैं। भेड़ चरवाहे उपेंद्र पाल ने कहा, उन्हें घर का बुरा लगता है लेकिन कोई रास्ता नहीं है। एक परिवार को पालने के लिए काम चाहिए। और वह इस काम को 20 साल से कर रहे हैं। लेकिन हां कभी-कभी मां, पिता, रिश्तेदारों, पत्नी, बच्चों को देखने के लिए देश के घर जाते हैं। फिर काम पर वापस आ जाते हैं। ये है उनके खानाबदोश जीवन की कहानी।