एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: 26 जुलाई को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (कोलकाता) ने आदेश दिया कि कोलकाता, हावड़ा समेत पूरे राज्य में अगले छह महीने के भीतर 15 साल पुराने वाहनों को खत्म कर दिया जाए। कोर्ट ने यह आदेश पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए दिया है। इस आदेश को चुनौती देते हुए मैनक गंगोपाध्याय और अरुणाभ घोष ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उनके अनुसार पर्यावरण न्यायालय का आदेश पूरे राज्य के लिए प्रभावी नहीं हो सकता है। देश के किसी भी राज्य में भी इस तरह के कदम का कोई उदाहरण नहीं है। अगर पर्यावरण अदालत के आदेश का पालन किया जाता है, तो राज्य को सैकड़ों हजारों कारों को रद्द करना होगा।
इस आदेश को चुनौती देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जोड़ी जनहित के मामले दायर किए गए। हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता, क्यों रद्द हो सभी 15 साल पुरानी कारें? निजी स्वामित्व वाले वाहनों के संबंध में पर्यावरण न्यायालय के आदेश में परिवर्तन। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ इस सप्ताह मामले की सुनवाई कर सकती है।