नौकरी के लिए खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा

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नौकरी के लिए खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : मृत मां-बाप की जगह उनकी विवाहित बेटी को भी नौकरी देने संबंधी अपने फैसले की अवमानना को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के खिलाफ रूल जारी किया है।



पिता हरुचंद्र दास पास के ग्राम पंचायत कार्यालय में चौकीदार का काम करते थे। 11 मई 2011 को काम के दौरान हरुचंद्र दास की मौत हो गई। परिवार का एक सदस्य मुआवजे के रूप में ''मानवता'' के आधार पर नौकरी का हकदार है। बीरभूम के सुदूर गांव नलहाटी की रहने वाली पूर्णिमा ने 2012 में नौकरी के लिए आवेदन किया था। उनका दावा है कि मां बीमार हैं और उनके पास कोई शैक्षणिक योग्यता नहीं है। इसलिए उसकी मां की जगह उसे नौकरी दी जाए। लेकिन राज्य पंचायत कार्यालय ने उस अनुरोध का जवाब नहीं दिया। उनका तर्क है कि राज्य में ऐसा कोई कानून नहीं है जो कहता है कि मृतक माता-पिता की विवाहित बेटियों को सरकारी नौकरी मिल सकती है। अधिकांश स्थानों पर पुरुषों के मामले में मृतक की पत्नी या पुत्र और महिलाओं के मामले में मृतक के बेटे को सरकारी नौकरी के लिए माना जा सकता है लेकिन विवाहित बेटियां रोजगार के लिए पात्र नहीं हैं। इस तर्क के खिलाफ पूर्णिमा ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।