एएनएम न्यूज, ब्यूरो: बंगाल की पूर्व मिदनापुर अंतर्गत बालीसाई से प्रकाशित हो रहे ऑनलाइन पत्रिका श्रेयशी की उद्योग में आयोजित कार्यक्रम शारदीया बहुभाषी कवि समेलन हाल ही में सम्पर्ण हुए । गुगल मीट में हुए इस कार्यक्रम में प्रतिबेशी देश बांग्लादेश ओर कनाडा के साथ साथ भारत की विभिन्न राज्यों से भाग लेने वाले कवि वर्ग अपने रचनाएँ पेश किया। मीरपुर, ढाका से शामिल हुए राना ज़मान देर तक ना रहे सके। कार्यक्रम की क्रेंद्र में थे टोरोंटो से जुड़े हंसा दीप और अपनी रचना की बलबूते सबका मन जीत लिया। रुफ़िका सुलताना, देब कुमार मुखर्जी, खुदीराम नस्कर, अनुश्री माइती, पुतुल माइती प्रमुख बांग्ला में कविता पाठ और अब्रिती किया। सबंग कलेज की प्रफेसर गगन चंद्र डे संस्कृत भाषा में कविता एईसी ढ़ंग से गान किए जो सबको बहुत पसंद आए। ओड़िया भाषा की कवि के रूप में जुड़े बिस्वजीत पटनायक, निरंजन बेहेरा, कोलकाता से सामिल हुए कवि ब्लॉगर और योगगुरु सनातन महाकुड़ ओड़िया भाषा में रचनायें पेश की। छत्तीसगढ़ में रहने वाले सुप्रसिद्ध कवि गोबिन्द पाल की शायरी ने सबके दिलो को छू दिया। हाल ही मैं प्रकाशित हुए "महज ये भाइरस नही" के बारे में पुष्टि की गई। राजभाषा विशिष्ट सेवा सम्मान - 2022* भिलाई इस्पात संयंत्र के टी पी आई ई विभाग में कार्यरत गोविंद पाल को प्रदान किया गया । गुजरात से शामिल हुए रानू मुखर्जी हिंदी में कविता पाठ किया। पुरुलिया से देबाशीष सरखेल ने अपनी रचना पढ़ कर मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की संचालक ने पिछले दिनों प्रकाशित हुए अनंत मोहन मिश्र की रचना "निर्बचित गल्प संकलन उत्स महाभारत" की दृष्टिपात की। रामनगर कलेज की अध्यक्ष होने के साथ साथ निरंतर साहित्य साधना में लगे श्री मिश्र की पौराणिक कथाओं में छुपी नैतिक मूल्यों को फिरसे अपने ढंग से पेश किया। महाभारत की गल्प से जुड़ी हुई जीवन की शिक्षा को फिर से दोहराया। जम्मू कश्मीर से जुड़े फौजी ऑफिसर निल कोमल जाना ने अपने अनुभव पेश किया और इस कार्यक्रम में शामिल होने पर खुशी व्यक्त की। करीब ढाई घंटे के इस कार्यक्रम का उपस्थापना संपादक वरुण कुमार दास ने किया। अंत में संपादक ने सबको बधाई दी और उम्मीद किया आने वाले दिन अच्छा रहेगा।