अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य के लिए की जाती है नरक चतुर्दशी

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अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य के लिए की जाती है नरक चतुर्दशी

एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: नरक चतुर्दशी दिवाली के पांच दिनों में मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस, रूप चतुर्दशी और नर्क पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। रूप चौदस के दिन संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं और चारों ओर रोशनी की जाती है। नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 03 मिनट से हो रही है। वहीं चतुर्दशी तिथि का समापन 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार नरक चतुर्दशी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें। नर्क चतुर्दशी के दिन यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और विष्णु जी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है।​