स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: अक्तूबर आते ही राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या गंभीर हो जाती है। किसानों द्वारा पराली जलाने से उठने वाला धुंआ वाहनों से निकलने वाले धुएं के साथ मिलकर प्रदूषण को और गंभीर बना देता है। इसी दौरान दिवाली, छठ और गोवर्धन पूजा जैसे त्योहारों पर छोड़े जाने वाले पटाखे प्रदूषण को और जानलेवा बना देते हैं। इसे रोकने के लिए हर साल पटाखों पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं। सरकार, कोर्ट और स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा इसके प्रति लोगों को जागरूक भी किया जाता है, लेकिन ये कोशिशें हर साल नाकाम हो जाती हैं और हर साल लोगों को गंभीर प्रदूषण का सामना करना पड़ता है।
तो आपको बता दे केंद्र-राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे निकायों के पास अपने निर्णयों को लागू कराने के लिए कोई प्रभावी एजेंसी नहीं है। ज्यादातर बोर्ड अपनी क्षमता से आधे लोगों के बल पर चल रहे हैं। इससे ये अपने आदेशों को प्रभावी तरीके से लागू नहीं करवा पाते जिससे ये उपाय सफल नहीं होते।