स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में मानगढ़ धाम आदिवासी स्मारक को राष्ट्रीय घोषित किया है। क्या है ये मानगढ़ धाम, जो अंग्रेजों के हाथों जलियांवाला बाग से कहीं अधिक नृशंस संहार की कहानी कहता है। 17 नवंबर 1913 को राजस्थान गुजरात की सीमा पर बांसवाड़ा के मानगढ़ में अंग्रेजों ने करीब 1500 भील आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन आमतौर पर इस शहादत को करीब विस्मृत ही कर दिया गया। मानगढ़ पहाड़ी पर बना स्मारक इसी शहादत की कहानी कहता है। इसे मानगढ़ धाम के नाम से जानते हैं। इसे लगातार राष्ट्रीय धरोहर बनाने की मांग होती रही है, जिसे प्रधानमंत्री ने मान लिया है। इसे राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की बात उन्होंने वहां अपने भाषण में की। दरअसल, मानगढ़ गवाह है भील आदिवासियों के अदम्य साहस और एकता का, जिसकी वजह से अंग्रेजों को नाकों चने चबाने पड़। ये एकजुटता भील आदिवासियों के नेता गोविंद गुरु की अगुवाई के कारण पैदा हुई थी। उनका जीवन भील समुदाय के लिए रहा।