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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: भारतीय राजनीति में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत जितनी रहस्यपूर्ण रही है, उतने ही रहस्यपूर्ण गुमनामी बाबा रहे हैं। अवध के इलाकों में मशहूर रहा है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। दोनों के रूप और जीवन की कई अद्भुत समानताओं ने आशंकाओं को पुख्ता भी किया। गुमनामी बाबा कि कहानी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर फैजाबाद से शुरू होती है। यही वह शहर है जहां गुमनामी बाबा ने अपनी अंतिम सांस ली थी और यहीं पर उनकी समाधि भी है। यह समाधि सरयु नदी के किनारे बनाई गई है जिस पर उनके जन्म की तारीख भी दर्ज है। यह तारीख है 23 जनवरी और इसी दिन नेताजी का भी जन्मदिन मनाया जाता है। कुछ लोगों के मुताबिक 23 जनवरी और दुर्गा पूजा के दिन कुछ खास लोग रात के वक्त उनसे मिलने आया करते थे। हालांकि, वे कौन थे, कहां से आते थे? ये किसी को पता नहीं था।
सुभाषचंद्र बोस और गुमनामी बाबा के एक ही व्यक्ति होने के दावों की शुरुआत इसी तारीख से होती है। हालांकि, इस समाधि पर उनके मृत्यु की तारीख की जगह तीन प्रश्न चिन्ह लगे हुए हैं जबकि गुमनामी बाबा की मृत्यु 16 सितंबर 1985 को हुई थी। इन प्रश्न चिन्हों से उन दावों को और पुष्टि मिलती है जो उन्हें ही नेताजी मानते हैं। लोगों का मानना था कि नेताजी ने तत्कालीन सरकार की नजरों से छिपने के लिए एक साधु का वेश बनाकर रहते थे।
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