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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? या फिर गुमनामी बाबा नेताजी के बेहद खास थे? गुमनामी बाबा हमेशा अपने आस-पास एक गोपनीयता का घेरा बनाए रखते हैं। वह कभी भी पर्दे के पीछे से ही किसी से बात किया करते थे। उनके साथ समय बीतने वाले भी कभी उनका चेहरा सामने से नहीं देख पाए। ऐसे बहुत कम ही लोग थे जिन्होंने गुमनामी बात का चेहरा देखा था। उनके नेताजी होने का शक इसी बात से गहरा जाता था। इसके अलावा गुमनामी बाबा एक संन्यासी होने के बावजूद भी फर्राटेदार अंग्रेजी और जर्मन भाषा बोलना जानते थे। यह उस वक्त का दौर था जब शायद ही कोई बाबा इतना पढ़ा लिखा होता था। ऊपर से दो से दिन विदेशी भाषाओं का ज्ञान होना तो इस बात के पुख्ता सबूत थे कि वही सुभाषचंद्र बोस थे।
इसके अलावा गुमनामी बाबा के पास नेताजी के परिवार से जुड़ी तस्वीरें, कई महत्वपूर्ण चिट्ठियां, कई अहम दस्तावेज और लेख भी मिले। उनके पास से दुनिया की कई जाने माने अखबार, पत्रिकाएं, साहिस्यिक पुस्तकें भी मिलीं। इसमें जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाली वस्तु थी वो सिगरेट और शराबें थी। आखिर एक संन्यासी को इसकी क्या जरूरत। इतना ही नहीं यह भी एक बड़ा सवाल था कि आखिर उन्हें ये चीजें पहुंचाता कौन था?
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