टोनी आलम, एएनएम न्यूज: जामुड़िया में आदिवासी कब्रिस्तान पर अवैध कब्जा करने का आरोप कारखाने के ऊपर लग रहा है। यह कब्रिस्तान 300 साल पुराना कब्रिस्तान है। ज्ञात हो कि आदिवासियों के बांधना उत्सव के दौरान जामुड़िया शिल्पा तालुक की श्यामसेल एंड पावर लिमिटेड फैक्ट्री ने वहां पाइप उतार दिया और पाइप लाइन पर काम करना शुरू कर दिया। स्थानीय निवासियों ने बताया कि बांधना त्यौहार के दौरान स्थानीय नेता और पुलिस प्रशासन के सहयोग से रात के अंधेरे में पाइप उतार कर पाइप लाइन डालने और मशीनों से मिट्टी काटने का काम शुरू किया। यह आदिवासी कब्रिस्तान धसना गांव, हुद्दुबी गांव और महिषाबुरी गांव के आदिवासियों का है।
स्थानीय लोगों ने कहा कि श्यामसेल की फैक्ट्री से पहले इस कब्रिस्तान में राख डाली जाती थी और जब ग्रामीण विरोध करने आए तो कंपनी द्वारा पुलिस लाकर उन्हें धमकाया। पुलिस ने कहा कि अगर यह जमीन आदिवासीयों की है तो कागजात पेश करें। इस संदर्भ में आदिवासी समाज के लोगों ने कहा कि बेटे 200 से 300 सालों से आदिवासी समाज के लोग यहां पर अपने मृत परिजनों को दफनाते आए हैं लेकिन आज श्याम सेल कंपनी कब्रिस्तान के अंदर पाइप लाइन बिछाने का काम कर रही है। उन्होंने मशीनों के सहारे मिट्टी भी काटने का काम शुरू कर दिया है। बड़े-बड़े पाइप उतार दिए गए हैं ऐसे में यह कब्रिस्तान आदिवासियों के हाथों से चला जाएगा तो वह अपने परिजनों को कहां दफनाएंगे। आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि उन्होंने जब इसका विरोध किया तो श्याम सेल कंपनी द्वारा उन्हें स्थानीय राजनीतिक नेताओं और पुलिस के सहारे धमकाया गया। पुलिस उल्टा उन्हीं से कागजात मांग रही है कि यह कब्रिस्तान आदिवासियों का ही है। इनका कहना है कि इस गोरखधंधे में श्याम सेल कंपनी के साथ पुलिस प्रशासन और स्थानीय नेताओं की मिलीभगत है। उनका साफ कहना था कि यह किसी भी कीमत पर इस कब्रिस्तान को अपने हाथों से नहीं जाने दे सकते अगर जरूरत पड़े तो वह भारत की राष्ट्रपति तक अपनी बात पहुंचाएंगे।