एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: सनातन धर्म में होली के पर्व को सबसे बड़ा माना गया है. यह हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है होली। फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 6 मार्च को शाम 4 बजकर 18 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन 7 मार्च को शाम 6 बजकर 10 मिनट पर होगा। उदयातिथि के मुताबिक, होलिका दहन का त्योहार 7 मार्च को मनाया जाएगा। पंचांग के मुताबिक होलिका दहन शुभ मुहूर्त 7 मार्च शाम 6 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक है। होलिका दहन के लिए समय 2 घंटे 27 मिनट है।
होलिका दहन से पहले होलिका की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, होलिका के पास उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाना चाहिए। इसके बाद ‘ओम प्रह्लादाय नम:’ भक्त प्रह्लाद के लिए, ‘ओम होलिकायै नम:’ होलिका के लिए और ओम नृसिंहाय नम: भगवान नृसिंह के लिए जाप करें। होलिका दहन के समय आग में गेंहू की बालियों को सेंका जाता है और बाद उनको लोगों में बांटकर खा लिया जाता है। बड़गुल्ले की 4 मालाएं ली जाती हैं और इन्हें हनुमान जी, पितृ और शीतला माता और परिवार के लिए चढ़ाई जाती हैं, फिर होलिका की तीन या सात बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत होलिका के चारों ओर लपेटा जाता है। फिर लोटे का जल और पूजा की सामग्री होलिका में अर्पित करनी चाहिए। पुष्प, गंध और धूप आदि चीजों से होलिका की पूजा-अर्चना करें और अपनी मनोकामनाएं कहें और गलतियों की क्षमा मांग