एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: ऐसे तो देशभर में होली का पर्व धूम धाम से मनाया जाता है लेकिन कान्हा की नगरी मथुरा में होली बेहद ख़ास तरीके से मनाया जाता है। यहाँ गुलाल और रंग के अलावा फूलों और लठ से भी होली खेली जाती है। वृंदावन में होली का त्योहार 40 दिनों तक चलता है। यहां पर होली से एक महीने पहले इस पर्व की शुरुआत होती है, राधा रानी और कृष्ण की लीलाओं का आनंद लिया जाता है। इस अवसर पर ब्रजवासियों में एक अलग तरह का उत्साह देखने को मिलता है। वृन्दावन में रंगों के अलावा लड्डुओं की भी होली खेली जाती है, फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बरसाने के श्रीजी मंदिर में लड्डुओं की होली खेली जाती है। ऐसा कहा जाता है कि श्रीजी लाड़ली मंदिर में लड्डू मार होली की शुरुआत द्वापर युग से हुई थी।
बरसाना की लठमार होली में शामिल होने के लिए देश समेत विदेश से भी लोग पहुंचते है। इस उत्सव को देखने के लिए आए सैलानी मस्ती का आनंद लेते हैं और यहां की खूबसूरत तस्वीर अपने कैमरे में कैद करते हैं। लठमार होली राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक मानी जाती है। रमणरेती में राधा रानी और कृष्ण के भक्त फूलों की होली खेलते हैं। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने होली खेलना यही से आरंभ किया था। इसी वजह से ब्रज में होली की शुरुआत रमणरेती में फूलों की होली के साथ होती है। यहां राधा रानी और कृष्ण को फूलों से ढक दिया जाता है। राजस्थान और हरियाणा समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बरसाने की लठमार होली खेली जाती है। इसको दुल्हंडी कहा जाता है, इस होली में अंतर यह है कि यहां देवर-भाभी एक दूसरे को रंगने की कोशिश करते हैं और बदले में भाभी देवर के दुपट्टे से बनाए गए कोड़े से पीटती हैं।