धार्मिक रीति-रिवाजों से हटाकर दूसरी जगह स्थापित कर दिया गया आदिवासी मंदिर

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धार्मिक रीति-रिवाजों से हटाकर दूसरी जगह स्थापित कर दिया गया आदिवासी मंदिर

टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: कोलियरी के विस्तार के रास्ते में एक आदिवासी मंदिर आड़े आ रहा था। मंगलवार को इसे धार्मिक रीति-रिवाजों से हटाकर दूसरी जगह स्थापित कर दिया गया। घटना पंडबेश्वर ब्लाक के आदिवासी बहुल गांव मधुडांगा की है।
ईसीएल के शोनपुर बाजार खदान विस्तार का कार्य चल रहा है। इसीलिए पांडबेश्वर ब्लाक में आदिवासियों के गांव मधुडंगा गांव को अधिग्रहण कर लिया गया है। इस गांव में दशकों से करीब 150 आदिवासी परिवार रहते हैं। हरे-भरे वनस्पतियों से घिरा यह गांव मूलनिवासियों के लिए धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र है। यह स्थान आदिवासी समुदाय के लोगों के लिए पवित्र और संवेदनशील है। जल्द ही क्षेत्र में कोयला खनन शुरू हो जाएगा। इसलिए संगठन ने मधुडंगा क्षेत्र के आदिवासियों के खोट्टाडीही मौजा में पुनर्वास की व्यवस्था की है। ग्रामीणों की ओर से अजय हांसदा ने कहा कि ग्रामीणों का पुनर्वास कार्य पूरा होने के बाद जगह को नए स्थान पर स्थापित किया जाएगा। फिलहाल इसे गांव में दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है। अब से आदिवासियों के सभी धार्मिक समारोह वहीं होंगे। उन्होंने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि परियोजना के विस्तार कार्य में बाधा न आए।