स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: तीन कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर एक साल से चल रहे किसान आंदोलन की सफलता के तीन अहम मंत्र रहे। कृषि कानून बनने के बाद किसानों का गुबार गुस्से में बदला तो उन्होंने गाजीपुर बॉर्डर पर आकर दिल्ली को घेर लिया। 26 जनवरी के बाद बिखरते किसान आंदोलन को संजीवनी भी गाजीपुर बॉर्डर से ही मिली। लालकिले पर धार्मिक झंडा फहराने के बाद 28 जनवरी को पुलिस ने धरना खत्म कराने की तैयारी कर ली थी, लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे राकेश टिकैत ने पंचायत की और पुलिस की ओर से गिरफ्तारी का प्रयास किए जाने पर उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। इन आंसुओं ने किसानों के गुस्से को और भड़का दिया और तंबू छोड़कर जा चुुुके किसान रातोंरात फिर से गाजीपुर बॉर्डर पर आ डटे। उसी का परिणाम है कि आंदोलन न केवल फिर से जिंदा हो गया, बल्कि सरकार बैकफुट पर आ गई। किसान आंदोलन की सफलता में गाजियाबाद-दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर की भूमिका अहम रही।