स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: असुरक्षा, आर्थिक तंगी, कमजोर शैक्षणिक व्यवस्था पिता को मजबूर करती है कि वह अपनी बच्ची की शादी पहले कर दे, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि 21 वर्ष में शादी होने पर बेटियां पढ़ेंगी ओर बढ़ेंगी। केंद्र सरकार द्वारा लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने का प्रस्ताव अगर हकीकत में तब्दील होता है तो इसका सीधा असर देश की सामाजिक रवायतों, शैक्षणिक परिवेश व आर्थिक ढांचे पर पड़ेगा। वह उस मुकाम पर पहुंचकर घर-गृहस्थी अपने हाथ में लेंगी, जहां पहले से ही उनके भविष्य का रास्ता तैयार रहेगा। कानूनी बंदिश के बावजूद बाल विवाह के मामले सामने आ रहे हैं। बाल विवाह पीड़िताएं, 18 व 21 वर्ष में शादीशुदा होने वाली युवतियां इन कानून को बेहद जरूरी बता रही हैं। खासतौर इसलिए कि पढ़ाई व कैरियर बनाने की उम्र में ब्याह होने से मिली जिम्मेदारियों के बोझ तले उसके सारे ख्वाब दब जाते हैं। फिर, जिंदगी का मकसद चूल्हा-चौका संभालने, बच्चों को पालने-संभालने में ही सिमट जाता है।