टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: पांडवेश्वर स्थित प्राचीन पंचपांडव मंदिर लगातार दो साल से कोरोना अतिमारी के कारण बंद था। कहा जाता है कि महाभारत के पंचपांडव वनवास के दौरान पांडवेश्वर के इस क्षेत्र में आए थे। यहां पंचपांडव ने शिवलिंग की स्थापना की थी। कहा जाता है कि तभी से इस शिवलिंग की पूजा चल रही है। ऐसा कहा जाता है कि पांडवेश्वर का नाम बाद में पांच पांडवों के नाम पर रखा गया था। पंचपांडव द्वारा स्थापित यह शिवलिंग मंदिर आज भी पंचपांडव मंदिर के नाम से जाना जाता है। पांडवेश्वर के इस पंचपांडव मंदिर में पौषमास की संक्रांति के दिन प्राचीन काल से ग्राम मेला लगता रहा है। मेले के आसपास खरीदारों और विक्रेताओं की भीड़ लगी रहती है। वहीं,बड़ी संख्या में श्रद्धालु मकर नदी में स्नान करते हैं।
पंचपांडव मंदिर के एक सेवाईत देवानंदन सारंदेव ने कहा कि मंदिर और मठ इस मेले से मंदिर की जितनी कमाई होती है, उससे काफी समय से मंदिर और मठ साल भर चलाते रहे हैं। लेकिन पिछले दो साल से कोरोना महा मारी के चलते मेला बंद पड़ा है। ऐसे में उन्हें मंदिर चलाने में दिक्कत होती है। जहां एक ओर क्षेत्र के लोग ऐसे मेलों से वंचित हैं, वहीं दूसरी ओर छोटे व्यापारी जिनकी आजीविका ऐसे मेलों के इर्द-गिर्द घूमती है। वे भी संकट में हैं। कोरोना के चलते इस साल भी मेला बंद कर दिया गया है। मेले में आए व्यापारी गुड्डू अंसारी ने उदास स्वर में कहा कि अगर प्रशासन ने जयदेव केंदुली की तरह एक दिन के लिए भी मेले की अनुमति दी होती, तो उन्हें थोड़ी सी राहत मिल जाती।