वैवाहिक संबंधों के कानूनन समाप्त न होने तक दूसरे विवाह वैध नहीं है : मुंबई उच्च न्यायालय
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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: बुधवार मुंबई उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि किसी मृतक की पहली पत्नी से उसका कानूनी तलाक हुए बगैर उसकी दूसरी पत्नी को उसकी पेंशन का लाभार्थी नहीं माना जा सकता। राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए सोलापुर निवासी शमल टाटे ने उच्च न्यायालय में अपने मृतक पति की पेंशन का लाभ पाने के लिए याचिका दायर की थी। मुंबई उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।
सूत्रों के मुताबिक सोलापुर कलेक्टर कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रहे उसके पति महादेव ने पहले से विवाहित रहते हुए उससे विवाह किया था। 1996 में महादेव की मृत्यु के बाद उसकी दोनों पत्नियों में समझौता हुआ कि महादेव की सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाला 90 फीसद लाभ पहली पत्नी लेगी, लेकिन उसकी पेंशन दूसरी पत्नी लेगी। लेकिन पहली पत्नी का कैंसर से निधन होने के बाद महादेव की पेंशन का लाभ मिलना बंद हो गया। उसने चार बार राज्य सरकार का दरवाजा खटखटाया, लेकिन सरकार ने उसे महादेव की पत्नी मानने से इन्कार कर दिया है। जबकि शमल टाटे का है कि समाज में उसे महादेव की पत्नी ही माना जाता है।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में महादेव की पहली पत्नी के पेंशन पर दूसरी पत्नी के हक जताने को गलत ठहराया है। उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों जेएस कत्थावाला और मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने राज्य सरकार के फैसले को ही उचित ठहराया है और उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों का हवाला देते हुए साफ कर दिया कि "हिंदू विवाह अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति के पहली पत्नी के साथ उसके वैवाहिक संबंधों के कानूनन समाप्त न होने की स्थिति में उसके दूसरे विवाह को वैध नहीं माना जा सकता।"