राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़: चित्तरंजन रेल शहर में बिना अनुमति के बने निर्माणों को हटाने का अभियान एक बार फिर से तेज हो गया है। कुछ समय के लिए यह कार्रवाई धीमी पड़ गई थी, लेकिन अब प्रशासन ने इसे सख्ती से लागू करना शुरू कर दिया है। इस बार स्काईनेट क्षेत्र से सटे स्ट्रीट नंबर 2 के इलाके को निशाना बनाया गया, जहां कई अवैध निर्माणों को ढहा दिया गया। शुक्रवार को चित्तरंजन रेल प्रशासन की टीम ने बुलडोजर लेकर इस इलाके में प्रवेश किया। अवैध रूप से बने मकान, दीवारें, और छतों को तोड़ दिया गया। प्रशासन का कहना है कि इन निर्माणों के लिए कोई कानूनी अनुमति नहीं ली गई थी और ये रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा करके बनाए गए थे। बुलडोजर की गड़गड़ाहट और दीवारों के गिरने की आवाज़ों के बीच लोग अपने घरों को टूटते हुए देख रहे थे, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
कार्रवाई के दौरान कई स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया। उनका आरोप था कि उन्हें पहले से कोई सूचना नहीं दी गई थी, जिससे वे अपने सामान को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का समय भी नहीं पा सके। हालांकि, प्रशासन ने सुरक्षा बलों की मौजूदगी में कार्रवाई को शांतिपूर्वक अंजाम दिया। अधिकारियों ने बताया कि इन अवैध निर्माणों को हटाने की योजना काफी समय से बनाई जा रही थी, लेकिन कुछ कारणों से यह अभियान बीच में रोक दिया गया था। अब इसे फिर से तेज कर दिया गया है और आगे भी यह जारी रहेगा।
चित्तरंजन रेल प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि रेलवे की जमीन पर किसी भी प्रकार का अवैध निर्माण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्थानीय निवासियों को चेतावनी दी है कि भविष्य में किसी भी निर्माण से पहले कानूनी अनुमति अवश्य लें, नहीं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में अन्य इलाकों में भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, इस अभियान को लेकर स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। प्रभावित परिवारों का कहना है कि वे वर्षों से इस इलाके में रह रहे थे और बार-बार प्रशासन से अनुमति के लिए संपर्क करने के बावजूद उन्हें कभी स्पष्ट जवाब नहीं मिला। कुछ ने इसे अन्यायपूर्ण कार्रवाई बताते हुए कहा कि उन्हें अचानक बेघर कर दिया गया, जिससे वे मानसिक और आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं।
चित्तरंजन में अतिक्रमण हटाने का यह अभियान अब चर्चा का विषय बन गया है। जहां प्रशासन इसे अवैध कब्जों के खिलाफ कड़ा कदम बता रहा है, वहीं स्थानीय लोग इसे अपनी आजीविका और आश्रय पर हमला मान रहे हैं। देखना होगा कि आगे यह मुद्दा किस दिशा में जाता है।