टोनी आलम, एएनएम न्यूज: रानीगंज : आसनसोल (Asansol) नगर निगम के वार्ड संख्या 93 के अंतर्गत रानीगंज के हालदार बांध इलाके में स्थित श्री श्री रक्षा काली मंदिर पूजा कमेटी के और से हर साल की तरह इस साल भी हर्षोल्लास से 152वां वार्षिक उत्सव मनाया गया। इस वार्षिक उत्सव में आसनसोल नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के मेयर परिषद दीव्येंदु भगत, रानीगंज बोरो दो के चेयरमैन मुज्जमिल शहजाद अंसारी,वार्ड संख्या 93 के पार्षद आलोक बोस, वार्ड संख्या 91 के पार्षद राजू सिंह, तृणमुल नेता सदन कुमार सिंह,संदीप भालोटिया,पुरोहित सत्यजीत मिश्रा, गोबर्धन केउरा,मितुल केउरा,गणेश केउरा,शिबा रजक,टूबाई केउरा,फैला केउरा,और भी तमाम श्री श्री रक्षा काली मंदिर (Kali Mandir) पूजा कमेटी के सदस्यगण उपस्थित थे। इस मौके पर आसनसोल नगर निगम के एमएमआईसी दिव्येंदु भगत ने कहा कि इस तरह के धार्मिक आयोजनों से माहौल पवित्र होता है और लोगों के मन में शांति आती है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों ने मन्नत मांगी थी और उनके मन्नते पूरी हुई उन लोगों ने आज यहां दंडी दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से शिल्पांचल और पवित्र होगी। इस आयोजन के लिए उन्होंने कमेटी के सदस्यों को धन्यवाद दिया वही इस पूजा के आयोजन से जुड़े सत्यजीत मिश्रा ने बताया कि वह इस पूजा से बीते करीब 15 वर्षों से जुड़े हुए हैं। यहां पर यह पूजा 152 सालों से होती आ रही है। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों ने उन्हें बताया है कि एक समय यहां पर महामारी फैली थी तब देवी ने उस समय बुजुर्गों को सपना दिया था और कहा था कि उनकी पूजा करें। उनकी पूजा करने के बाद से अब तक यहां पर कोई महामारी नहीं हुई है। इसलिए हर साल बांग्ला कैलेंडर के जेष्ठ महीने के अंतिम शनिवार को रानीगंज के हालदार बांध इलाके के अन्नपूर्णा लेन में मा रक्षा कली की पूजा होती है। उन्होंने बताया कि इस पूजा के आयोजन में सिर्फ रानीगंज (Raniganj) नहीं बल्कि पश्चिम बर्दवान और पश्चिम बर्दवान जिले के बाहर से आए लोग भी सम्मिलित होते हैं। यहां तक कि दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु आते हैं और मां की आराधना करते हैं यह एक रात की पूजा है। सूर्योदय से पहले मां का विसर्जन कर दिया जाता है इसके साथ सोनू ने कहा कि आईने हर एक जगह पर मां काली की पूजा अमावस्या पर होती है। लेकिन यहां पर पूजा बांग्ला जेष्ठ महीने के अंतिम शनिवार को होती है। वही मां काली की पूजा के आयोजन से जुड़े गोवर्धन और अन्य आयोजकों ने भी इस पूजा के बारे में बताया और कहा कि इस पूजा का इतिहास काफी प्राचीन है करीब 152 साल पहले पूजा की शुरुआत हुई थी और आज भी बड़े धूमधाम से और श्रद्धा के साथ इस पूजा का आयोजन किया जाता है। जहां पर रानीगंज ही नहीं बल्कि अन्य इलाकों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं।