मौलाना ने किया सामाजिक चेतना की मिसाल कायम

मौलाना वाईजुल हक ने 3 तारीख की रात को एक बारात के देर से आने के कारन देर रात निकाह कराने से इंकार कर दिया। निकाह दुसरे दिन सुबह की नमाज के बाद पढ़ाई गई। ऐसा करके मौलाना वाईजुल हक ने समाज में एक मिसाल पेश किया। 

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Jagganath Mondal
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टोनी आलम, एएनएम न्यूज़ : मौलाना वाईजुल हक ने सामाजिक चेतना की मिसाल कायम किया। एक साल पहले जामुड़िया अंजुमन वेलफेयर सोसायटी के बैनर तले जामुड़िया अंचल के सभी मस्जिदों के इमाम के साथ एक बैठक किया गया था। इस बैठक में  शादी कराने को लेकर कुछ नियम बनाए गए थे, पहला नियम था कि रात 11 बजे के पहले तक निकाह पढ़ाया जाएगा यानी कि यदि बारात रात 11 बजे के बाद दरवाजे पर आति है तो निकाह दुसरे दिन सुबह की नमाज के बाद पढ़ाई जाएगी। दुसरा नियम यह बनाया गया था कि अगर बाराती शराब पीकर आते हैं तब भी निकाह नहीं पढ़ाया जाएगा। तिसरा नियम यह बनाया गया था कि अगर बाराती डिजे और आतिशबाजी के साथ आते हैं तब भी निकाह नहीं पढ़ाया जाएगा। इन्हीं नियमों को ध्यान में रखते हुए बनाली मस्जिद के मौलाना वाईजुल हक ने 3 तारीख की रात को एक बारात के देर से आने के कारन देर रात निकाह कराने से इंकार कर दिया। निकाह दुसरे दिन सुबह की नमाज के बाद पढ़ाई गई। ऐसा करके मौलाना वाईजुल हक ने समाज में एक मिसाल पेश किया। 

मौलाना वाईजुल हक के साहस और हौसले को बढ़ाने के लिए जामुड़िया वेलफेयर अंजुमन सोसायटी के द्वारा उन्हें फुलों का गुलदस्ता और शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर उपस्थित वेलफेयर अंजुमन सोसायटी के सचिव मीर आज़म खान ने कहा कि समाज में शादी के आयोजन में अनेक बुराईयां देखने को मिल रही है। आज कल लोग बारात सही समय पर लेकर लड़की वालों के घर नहीं पहुंच रहें हैं। बारात नाच गाना, डिजे और आतिशबाजी ज्यादा देखने को मिल रही है। समाज से इस बुराई को जल्द से जल्द हटाने का हम सभी को मिलकर करना होगा। मौलाना वाईजुल हक ने कदम उठाया है वह तारीफें काबिल है। अगर सभी मौलाना इन नियमों का सख्ती से पालन करें तो समाज में एक अच्छा संदेश जाएगा। इस मौके पर जामुड़िया वेलफेयर अंजुमन के सचिव मीर आज़म खान, अध्यक्ष समीऊज जमान ख़ान, एमडी रिजवान खान,कपील खान,मसुद अख्तर खान, एमडी शारिक इसके साथ साथ जामुड़िया अंचल के विभिन्न मस्जिदों के इमाम उपस्थित थे।