कारखानों का प्रदूषण से Maithon की खूबसूरती को लग रहा ग्रहण

बंगाल-झारखंड सीमा पर स्तिथ मैथन पर्यटन स्थल एंव कल्यानेश्वरी समेत आस-पास के क्षेत्रों में कारखाना से निकलने वाले बिषैले धुंआ एंव जल से लगातार प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है।

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Ankita Kumari Jaiswara
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राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़, सालानपुर/कल्यानेश्वरी: बंगाल-झारखंड सीमा पर स्तिथ मैथन पर्यटन स्थल एंव कल्यानेश्वरी समेत आस-पास के क्षेत्रों में कारखाना से निकलने वाले बिषैले धुंआ एंव जल से लगातार प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। आलम यह है कि शाम होते ही क्षेत्र में प्रदूषण जनजीवन पर कहर ढाह देता है। बता दे सालानपुर प्रखंड के देन्दुआ ग्रामपंचायत एंव कुल्टी के कोदोबीटा क्षेत्र स्तिथ विभिन्न कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित हवा व गंदा पानी से क्षेत्र में प्रदूषण का कारण बना हुआ है। क्षेत्र में सबसे ज्यादा लौह इस्पात कारखाना की संख्या है जिसमें लोहा इस्पात से विभिन्न प्रकार की बस्तुओ का निर्माण समेत कच्चे माल भी तैयार कर अन्य कारखानों को भेजें जाते है, क्षेत्र में इसके अलावा रिफेक्टरी, कोक कारखाना समेत अन्य कल कारखाने चलते है।

इसी क्रम में कारखानो से भारी पैमाने पर प्रदूषित धुंआ एंव जहरीला जल निकलता है। इन कारखानों से निकलने वाले जहरीले धुंआ एंव जल क्षेत्र को प्रदूषित कर रहे है। कारखानों के चिमनियों निकलने वाले प्रदूषित धुआं एंव कारखाना से निकलने वाले गंदे पानी को मनमाने परिमाण में वातावरण में छोड़ कर प्रदूषण फैला रहे है। जिससे आस-पास में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। स्थानीय लोगो एंव राहगीरों का कहना है शाम के समय कल्यानेश्वरी से देन्दुआ जाने के क्रम में क्षेत्र में उड़ रहे धूल से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही क्षेत्र में रह रहे लोगो के अनुसार क्षेत्र में बहुत बड़े पैमाने पर धूल कण उड़ाते रहते है । कारखानों द्वारा रात में चिमनियों से दिन की तुलना में और भी अधिक मात्रा में जहरीले धुओं की निकासी की जाती है। मैथन (बंगाल क्षेत्र), कल्यानेश्वरी, लेफ्ट बैंक, कोदोबीटा, महेशपुर, देबीपुर, देन्दुआ एवं नकरजोरिया समेत अन्य आसपास के गाँव इस प्रदूषण की चपेट में है। जहाँ के ग्रामीणों के सामने कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित जल एंव धुंआ ने भारी  समस्या खड़ी कर रखी है। बताया जा रहा है कल्याणेश्वरी से होते हुए बहने वाली जोरिया के जल को कारखानों द्वार आज इतना प्रदूषित कर दिया गया है कि उसका उपयोग नही किया जा सकता। किसी जमाने मे इसी जोरिया का पानी मे स्नान करते थे स्थानीय लोग आज यही जल कारखानों की प्रदूषण के भेंट चढ़ गए है। क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि क्षेत्र में घरों के भीतर तक भारी मात्रा में धूलकण प्रवेश कर रहे है।

स्थानीय लोगो के अनुसार कई बार बोलने पर भी कारखाना प्रबंधन द्वारा क्षेत्र में जल छिड़काव नही किया जाता है। बता दे पिछले कई वर्षों में क्षेत्र में विभिन्न कारखाने खुले है। तो कई कोरोना काल में बंद भी हुये है। कारखानों स्थापना के क्रम में धीरे -धीरे क्षेत्रों की पेड़ो की कटाई हुई जिससे पहले ही क्षेत्र का वातावरण को हराष हुआ है। जिसकी भरपाई की जगह लगातर क्षेत्र को प्रदूषित कर रहे है क्षेत्र के कारखाने। बता दे बर्तमान में बंद इम्पेक्स फेरो कारखाने कर पावर प्लांट से निकलने वाले धूल एंव तीव्र आवाज के विरोध में कई बार स्थानीय ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया था। वही क्षेत्र में स्थापित कुछ कारखानों द्वारा प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये क्षेत्र में पौधरोपण समेत कोई ऐसे कार्य नही किये जाते है। जबकि कारखाना के भीतर एंव बाहर पेड़ो को लगाना अनिवार्य श्रेणी में रखा गया है , इसके बाउजूद क्षेत्र में बढ़ रहे प्रदूषण पर प्रदूषण विभाग नियंत्रण के उदेश्य से कारखानों के खिलाफ कोई कार्रवाई नही कर रहा है। प्रदूषण के कारण मैथन पर्यटन स्थल भी प्रदूषित होता जा रहा है, साथ ही इस वर्ष ग्रीष्मकाल में क्षेत्र के तापमान में काफी बृद्धि महसूस की गई। वही लगातार क्षेत्र में बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर भविष्य में लोगो के लिये गम्भीर बीमारियों कारण बन सकता है। सोचने का बिषय है कि जिस क्षेत्र से कारखाना मालिक अपने व्यापार को आगे बढ़ा रहे है, उस क्षेत्र को विकास देने की जगह विनाश की क्यों धकेल रहे है और इसके खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर अबतक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया है।