टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: कल आए विनाशकारी चक्रवात से आम का पूरा बाग क्षतिग्रस्त हो गया। पश्चिम बर्दवान के पांडवेश्वर में कल यानी मंगलवार दोपहर प्रचंड चक्रवात आया। आंधी के साथ तेज बारिश और ओले गिरने लगे। और इससे पांडवेश्वर विधानसभा के दुर्गापुर फरीदपुर प्रखंड के तिलबनी गांव के आम उत्पादकों के लिए आफत आ गई। चंद मिनटों की आंधी में आम का पूरा बगीचा तबाह हो गया। इससे पहले दो आंधीयों से आम के बाग क्षतिग्रस्त हो गए थे। बहुत सारे आम पेड़ से गिर गए थे। लेकिन आम के किसानों को लगता था कि इस विशाल आम के बगीचे में जो आम उग रहे थे, वे काफी थे। आम्रपाली आम की उपज से उनको आशा थी। यह आम का बाग कई बीघा क्षेत्रफल की जमीन पर स्थित है। यहां आम के पेड़ों की सैकड़ों अलग-अलग प्रजातियां हैं। अल्फांसो से लेकर आम्रपाली, बैसाखी, चंद्रमुखी, लंगड़ा अलग-अलग प्रजातियां हैं। हालांकि पिछली दो आंधी में अन्य आमों को नुकसान हुआ है, लेकिन आम्रपाली आम की उपज को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। किसानों को उम्मीद थी कि इस साल यह आम उन्हें बचाएगा। लेकिन कल के चक्रवात ने सब कुछ खत्म कर दिया। प्रकृति की शक्ति के आगे मानव असहाय है।
दुर्गापुर फरीदपुर प्रखंड के तिलबनी गांव का यह आम का बाग लाउदोहा पंचायत के अंतर्गत है। दो साल में क्षेत्र के कुछ बेरोजगार युवकों ने बहुत ज्यादा पैसे लगाकर इस बाग में आम की खेती की। लेकिन आम के बेबस किसान प्रकृति के आगे बेबस हैं। कल के चक्रवात में बगीचे के सारे कच्चे आम गिर गए। इस बाग में फिलहाल कुल 12 लोग काम कर रहे हैं, जो इतने लंबे समय से इन आम के पेड़ों की देखभाल कर रहे हैं। आम के किसानों को इस तरह घाटा हो रहा है कि बागवानों को वेतन कैसे दिया जाए यह सोचकर परेशान हैं? और पंचायत को पैसे किस तरह से देंगे यह भी परेशानी है ? इन्हीं बातों को सोचकर आम के किसान बेचैन हैं। आम उत्पादक वरुण नायक ने मीडिया के माध्यम से पंचायत प्रखंड अध्यक्ष व विधायक से मानवता की खातिर उनके पक्ष पर विचार करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि पिछली बार भी उन्हें आम की खेती में नुकसान का सामना करना पड़ा था। तब पंचायत ने इंसानियत दिखाया। लेकिन यह नुकसान उनकी बर्दाश्त की सारी हद पार कर चुका है। वह यह सोचकर परेशान हैं कि बगीचे में आम उगाने के लिए जो कर्ज चुकाना पड़ेगा उसे कैसे चुकाएं? कुछ मिनट के तेज चक्रवात से आम के किसान प्रभावित हुए।
इस संबंध में लाउ दोहा पंचायत के मुखिया पिनाकी बैनर्जी ने बताया कि जब आम की पौध का ठेका दिया गया था तो स्पष्ट रूप से कहा गया था कि आम की खेती का मौसम तूफानी बारिश का होता है, इसलिए पौधरोपण का बीमा कराना जरूरी है। मुखिया ने यह भी कहा कि अगर आम किसानों का बीमा करा लिया गया है तो जो नुकसान हुआ है उसकी आंशिक भरपाई की जा सकती है।
वहीं दूसरी ओर आम के किसान भारी नुकसान के कारण आम के बागों में आम को बेहद कम दामों पर बेचने को विवश हैं।