अजीबोगरीब परंपरा, खुशी या मातम, क्या है यह? Watch Video

यह ईरान के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है जिसे "खर्रा माली" के नाम से जाना जाता है। वहा पुरुषों के साथ-साथ मुस्लिम महिलाएं भी इस परंपरा को निभाती है।

author-image
Sneha Singh
New Update
Shia Muslimah pic

एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: शोक प्रकट करने के लिए शिया मुसलमान अकेले में और सार्वजनिक रूप से अपने सीने को पीटते हैं, रोते हैं और इमाम हुसैन की याद में गीतों (मरसियों) को गाते हैं। यह शिया शोक परंपरा है। यह ईरान के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है जिसे "खर्रा माली" के नाम से जाना जाता है। वहा पुरुषों के साथ-साथ मुस्लिम महिलाएं भी इस परंपरा को निभाती है। यह AD680 में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की मृत्यु की याद दिलाता है। हुसैन को शिया मुस्लिम अपना तीसरा इमाम मानते हैं।

(हालांकि एएनएम न्यूज़ इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है)