शेख हसीना का पतन भारत की विदेश नीति की विफलता

शेख हसीना का पतन भारत की विदेश नीति और कूटनीति की पूरी तरह से विफलता है। वरिष्ठ पूर्व राजनयिकों के अनुसार, पिछले एक साल में बांग्लादेश में भारत विरोधी और हिंदू विरोधी भावनाएँ बढ़ रही हैं।

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Jagganath Mondal
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एएनएम न्यूज़, ब्यूरो : लंबे समय से इस स्थिति पर नज़र रखने वाले ज़्यादातर विशेषज्ञों का मानना ​​है कि शेख हसीना का पतन भारत की विदेश नीति और कूटनीति की पूरी तरह से विफलता है। वरिष्ठ पूर्व राजनयिकों के अनुसार, पिछले एक साल में बांग्लादेश में भारत विरोधी और हिंदू विरोधी भावनाएँ बढ़ रही हैं। इसके अलावा शेख हसीना ने सलमान एफ रहमान, मोहम्मद अराफात, जुनैद अहमद पलक, मोजम्मल हक बाबू, नईम निज़ाम जैसे लोगों पर भरोसा किया और उन्हें सशक्त बनाया, जिन पर देश को लूटने और स्वार्थ और प्रगति को बढ़ावा देने का आरोप है। इन लोगों से संपर्क रखने वाले पूर्व राजनयिकों का कहना है कि इनमें से ज़्यादातर लोग भारत विरोधी थे, हालाँकि उन्होंने दिखाया कि वे शेख हसीना के करीबी विश्वासपात्र हैं। पूर्व राजनयिकों ने कहा कि विदेश मंत्रालय में बांग्लादेश और दक्षिण एशियाई डेस्क में भारतीय राजनयिक और अधिकारी दीवार पर लिखे संदेश को समझने में विफल रहे और नुकसान की भरपाई के उपाय नहीं कर सके। पूर्व राजनयिकों ने कहा कि बांग्लादेश में भारतीय मिशन भी लोगों के मूड को समझने और जमीनी हकीकत को समझने में विफल रहा और एक अनुभवहीन भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को अपने कर्तव्यों से हटा दिया गया।

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विशेषज्ञों ने दावा किया कि अस्थिर, शत्रुतापूर्ण और अशांत बांग्लादेश भारत के लिए अत्यंत खतरनाक होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए विदेश मंत्री जयशंकर को अपनी डेस्क को दोषी मानना ​​चाहिए क्योंकि सुधारात्मक कदम उठाने के लिए उनके पास पर्याप्त समय था।