स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शराब पीकर गाड़ी चलाने के एक मामले में अभूतपूर्व फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक युवक को जमानत देते हुए ऐसी शर्त लगाई है जो जागरूकता के लिहाज से दुर्लभ है। आदेश के मुताबिक, आरोपी को हर वीकेंड पर महानगर की व्यस्त ट्रैफिक लाइटों पर 'शराब पीकर गाड़ी न चलाएं' संदेश वाला बैनर लेकर खड़ा होना होगा। कोर्ट ने कहा है कि उसे अगले तीन महीने तक ऐसा करना होगा।
वकीलों का मानना है कि यह फैसला दूसरों को नशे में गाड़ी चलाने के खिलाफ चेतावनी देने में प्रभावी भूमिका निभाएगा। मामले के विवरण के अनुसार, आरोपी युवक सब्यसाची देवप्रिय निशंक, जिसने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) लखनऊ से एमबीए किया है और वर्तमान में एक निजी कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत है, ने नवंबर 2024 में नशे में धुत होकर अपनी कार चलाई थी और दो पुलिस चौकियों को टक्कर मार दी थी। बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।
जस्टिस मिलिंद यादव की सिंगल बेंच ने निशंक को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी। फैसले में कोर्ट ने कहा कि निशंक एक सम्मानित परिवार से आते हैं और उनका भविष्य उज्ज्वल है। उनकी उम्र और पृष्ठभूमि को देखते हुए उन्हें लंबे समय तक जेल में रखना जरूरी नहीं है। हालांकि, रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि वह शराब के नशे में गाड़ी चला रहे थे और उन्होंने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
जमानत की शर्त के अनुसार निशंक को हर शनिवार और रविवार को तीन घंटे के लिए सेंट्रल मुंबई के वर्ली नाका जंक्शन पर बैनर लेकर खड़ा होना होगा। कोर्ट ने बैनर का आकार 4 फीट गुणा 3 फीट तय किया है। इस पर बड़े अक्षरों में 'ड्रिंक एंड ड्राइव' लिखा होगा और ट्रैफिक अधिकारी के निर्देशानुसार काम करना होगा। हाईकोर्ट के इस फैसले का मुख्य उद्देश्य शराब पीकर गाड़ी चलाने के नुकसानों के बारे में जागरूकता फैलाना है।