स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: चंद्रयान 3 (Chandrayaaan 3) मिशन पर ना पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है। 14 जुलाई को चंद्रयान 3 की लांचिंग के करीब 25 दिन बाद रूस ने अपने लूना-25 को लांच किया था लेकिन लैंडिंग से पहले वो क्रैश हो गया।उस हादसे के बाद याद आ गई 2019 चंद्रयान 2 मिशन की जब चांद की सतह पर सॉफ्ट की जगह हार्ड लैंडिंग हुई थी। हर एक शख्स को उम्मीद है कि इस दफा चांद पर इसरो(ISRO) बिना किसी बाधा के सॉप्ट लैंडिंग (soft landing) कराने में कामयाब होगा। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि 23 अगस्त की तारीख और शाम 6 बजकर 4 मिनट का ही चुनाव क्यों किया गया।
चांद पर 14 दिन तक रात और 14 दिन उजाला रहता है। अगर विक्रम लैंडर (Vikram Lander) और प्रज्ञान दिन की जगह पर रात में उतरते तो काम करना मुश्किल होता। चांद पर 22 अगस्त से उजाला हो चुका है । 23 अगस्त से लेकर 5 सितंबर तक उजाला रहेगा और उसका फायदा यह होगा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान दोनों को सूरज से ऊर्जा (energy from the sun) मिलती रहेगी।