एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: मैट स्कॉट की बचपन से ही एक ही इच्छा थी कि वह बास्केटबॉल खिलाड़ी बने। वह विजेता की ट्रॉफी अपने हाथों में लेना चाहता था। लेकिन जो व्यक्ति खड़ा होने में असमर्थ है, वह इस असंभव कार्य को कैसे पूरा करेगा? वह जन्म से ही स्पाइनल बिफिडा से पीड़ित है। लेकिन उसने भी हार नहीं मानी।
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वह 14 साल की उम्र में पहली बार व्हीलचेयर बास्केटबॉल टीम में शामिल हुआ। वह 2004 में यूएस मेन्स नेशनल व्हीलचेयर बास्केटबॉल टीम का हिस्सा बना और 2007 में ब्राजील में पैरापैन अमेरिकन गेम्स में अपनी टीम के साथ स्वर्ण पदक जीता।
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वह चार बार पैरालिंपियन और दो बार पदक विजेता है। उसने 2016 में रियो में पैरालिंपिक खेलों में स्वर्ण पदक और 2012 में लंदन में पैरालिंपिक खेलों में कांस्य पदक जीता। हालांकि पिछले साल वह एक सप्ताह तक कोमा में रहा और ठीक होने में चार महीने अस्पताल में बिताए, लेकिन मैट ने हार नहीं मानी। अब उनकी एकमात्र इच्छा अगले पैरालंपिक खेलों में एक और स्वर्ण पदक जीतना है।