स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट में हार का सामना करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट माध्यमिक स्तर के किसी भी शिक्षक के तबादले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। गुरुवार को यह साफ हो गया। शिक्षक समुदाय के एक वर्ग को कोर्ट के फैसले पर संदेह के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। वे मामले के फैसले की फिर से समीक्षा करने की मांग करते हुए समीक्षा याचिका दायर करने पर भी विचार कर रहे हैं।
माध्यमिक स्तर पर सहायक शिक्षकों के तबादले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया गया था। वहां सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि स्कूल सेवा आयोग यानी एसएससी अपनी मर्जी से शिक्षकों का कहीं भी तबादला कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के तबादले का अधिकार सरकार के हाथ में लौटा दिया।
गुरुवार को न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने शिक्षकों के तबादले से जुड़े मामले की सुनवाई की। शिक्षकों के तबादले से जुड़ी धारा 10सी एसएससी ने पेश की थी। इस धारा के अनुसार राज्य सरकार शिक्षकों का कभी भी कहीं भी तबादला कर सकती है। वह तबादला एसएससी के जरिए होता है। राज्य के शिक्षक संघ ने इस कानून का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वे राज्य के 157 स्कूली शिक्षकों के तबादले के फैसले पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शिक्षकों के तबादले पर रोक लगा दी थी। हालांकि, यह आदेश हटा दिया गया है। इस दिन दो जजों की खंडपीठ ने शिक्षकों की दलीलों को खारिज करते हुए सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था।
कोर्ट में राज्य सरकार की दलील थी कि हर शिक्षक घर के नजदीक स्कूल में काम करना चाहता है। इससे परेशानी हो रही है। जिन जिलों में छात्रों की संख्या ज्यादा है, लेकिन शिक्षकों की संख्या कम है, वहां पढ़ाई जारी रखने के लिए शिक्षकों का तबादला जरूरी है। इस मामले में गुरुवार को दो जजों की खंडपीठ ने स्पष्ट आदेश दिया कि एसएससी जरूरत पड़ने पर शिक्षकों का कहीं भी तबादला कर सकता है।