पलविंदर सिंह, एएनएम न्यूज: जोगीरा सारारारा.... की आवाज के साथ जब ढोलक और मंजीरे की धुन गली-गली में गूंजती थी तो हर आदमी फगुआ के रंग में रंग जाता था। फगुआ सिर्फ गीत नहीं है बल्कि हमारी परंपरा और विरासत है। कल रात भी कुल्टी स्टेशन के हनुमान मंदिर में 10वर्षीय अंधे बालक पवन शर्मा ने भी फगुआ में ढोलक बजाने का जिम्मा लिया और अपनी धुन पर अभी को मस्त कर दिया। पवन शर्मा के पिता सोनू शर्मा ने कहा कि उसे जन्म के बाद से ही दिखाई नही देता है। साधारण भाषा में कहा जाए तो उनका पुत्र अंधा है, उन्होंने बताया की पवन को 4 साल की उम्र से ही ढोलक बजाने का काफी शौक था, पवन का कोई गुरु नही है, पवन खुद कटोरी और चमच बजाते बजाते आज ढोलक बजाने लगा है। जब हमारे प्रतिनिधि ने पवन शर्मा से बात की तो 10वर्षीय पवन शर्मा ने एक ही लफ्ज़ में कहा की या सब का श्रेय मेरा पिता को जाता है, उनके कठिन परिश्रम करने के बाद आज में ढोलक बजाने में थोड़ा कामयाब हुआ हूं, मैं अभी और मेहनत करूंगा ताकि मैं और अच्छे और भी बड़े बड़े मंचो पर जा कर अपने पिता जी का नाम रौशन करू। इस कार्यकर्म में शिवम गुप्ता, विकी, आकाश, शंकर, विवेक और अन्य सहयोग साथी मौजूद थे।