सात साल की उम्र से शुरू किया था गाना , उनकी गजल ऑटो रिक्शा वाले भी करने लगे पसंद

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Harmeet
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सात साल की उम्र से शुरू किया था गाना , उनकी गजल ऑटो रिक्शा वाले भी करने लगे पसंद

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : गजल के लिए कहा जाता था कि वो अमीरों का शौक होती हैं, लेकिन पंकज उधास वो शख्स थे जिन्होंने गजल को अमीरों की महफिल से बाहर निकालकर हर ऑटो रिक्शा तक पहुंचा दिया। पंकज उधास एक ऐसे गजल गायक हैं, जो अपनी गायकी से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। 17 मई 1951 को गुजरात के राजकोट में जेटपुर में जन्मे पंकज उधास को बचपन से ही गायकी का शौक था। और, होता भी क्यों नहीं, उनके घर में माहौल ही ऐसा था कि उनकी रुचि खुद-ब-खुद संगीत की ओर बढ़ती चली गई। पंकज उधास ने 1972 में फिल्म 'कामना' से बॉलीवुड में शुरुआत की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद वह कैसेट कंपनी के मालिक मीरचंदानी से मिले और उन्हें 'आहट' एल्बम में गाने का अवसर मिला। इस एक एल्बम से उनका गाना ‘चिट्ठी आई है’ लोगों को बहुत पसंद आया।

पंकज उधास के भाई मनहर उधास भी मशहूर पार्श्वगायक हैं। ऐसे में बचपन से ही घर में संगीत का माहौल देख कर बड़े हुए पंकज उधास ने सात साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। शुरुआत उन्होंने शौक के तौर पर की, लेकिन उनके भाई मनहर उधास ने उनके इस हुनर को पहचाना और उन्हें इसी राह पर बढ़ने की सलाह दी और वह इस राह पर चल पड़े। उनकी एल्बम की कैसेट एक ऐसा माध्यम थी, जिन्होंने गजल को आम आदमी तक पहुंचने में मदद की और उनकी गजल को ऑटो रिक्शा वाले भी सुनने और पसंद करने लगे। पंकज उधास ने कई फिल्मों में भी अपनी आवाज दी है, जिनमें 'बहार आने तक', 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी', 'थानेदार', 'साजन', 'मोहरा', 'गंगा जमुना सरस्वती' जैसी कई फिल्में शामिल हैं।