ओडिशा: एक जवांज सैनिक पुलिस इंटेलिजेंस ब्रांच में कार्यरत चंद्रकांत विश्वाल जी के जन्म दिन पर ' मो लेखा मो दुनिआ साहित्य संस्थान,कालाहांडी' आनुकूल्य में ऑनलाइन माध्यम से एक कविता प्रतियोगिता आयोजित किया गया । जिसमे सैकड़ों कवियों ने भाग लिया प्रसंग देश की सुरक्षा पर । देश के भीतर जो भी बदलाव और उन्नति होती है, उसके असल के हकदार दो ही तत्व हैं। पहला, देश का नागरिक और दूसरा प्रशासन। दोनों में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व का बोध, मेरिट के आधार पर कार्य, कर्तव्य का बंटवारा और जिम्मेदारी को निर्वहन करने की भावना होने पर हम किसी भी लड़ाई को आसानी से जीत लेंगे। आतंकवाद पर भी इसी के सहारे जीत हासिल की जा सकती है। किसी भी देश की सुरक्षा केवल उसके सुरक्षा बल नहीं कर सकते। इसमें जितना बड़ा योगदान सुरक्षा बल का होता है, उतना ही देश की प्रशासनिक मशीनरी और आम जनता का भी होता है। इस प्रसंग पर मधुस्मिता साहू, बुलु बिशोयी, रांका सराफ,चित्तरंजन साहू, प्रियदर्शिनी मिश्र, गोपाल भाटी, अरविन्द साहू, टिकेमणि बुद्धिआ, राजकिशोर मुंडी, अशोक कुमार नायक, गोबिंद बेहेरा, प्रशांत कुमार नाथ, बेणुधर बेहेरा,सुबास चंद्र बिस्वाल, रंजीता साहू, जगदीश सतपती, अरुंधती लेंका, ज्ञानेन्द्रिय दाश,कुमार स्वाई,चित्तरंजन पृष्टि, माधब माझी, घनश्याम दन्ता,रति नारायण राउत आदि कवियों ने आपने आपने कविता का पाठ किये थे । इस ऑनलाइन प्रतिजोगिता में मुक्ष्य अतिथि दौड़ रानी दुती चांद (ओलंपियन) सर्वप्रथम श्री चंद्रकांत बिश्वाल जी को उनके जन्मदिन पर बधाई देते हुए उन्होंने इस प्रतिजोगिता में भाग लेने वाले सभी कवियों को प्रोत्साहित किये और ओड़िया भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए मो लेखा मो दुनिआ के आयोजित कार्यक्रम को प्रशंसा करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में ओड़िआ भाषा साहित्य का विकास होगा । इस कार्यक्रम में डॉ.भवानी शंकर नियाल, भारती रथ, रघुबीर शर्मा, इशिता, कबिता, राज किशोर मुंडी,मन्मथ स्वाई, जोगगुरु सनातन महाकुड़, दुर्गा शंकर दे, सुशांत राणा, कमलिनी चंडी प्रमुख सामिल हुए थे । अंत में अनुष्ठान के प्राण प्रतिष्ठाता श्रीमान खुसीराम साहू सबका आभार ब्यक्त किये थे।