स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : भविष्य पुराण में है की एक बार श्रीकृष्ण से युधिष्ठिर ने भगवती हरकाली देवी के बारे में प्रश्न किया, जिसमें उन्होंने हरकाली देवी के पूजन व इसके फल के बारे में जानने की इच्छा प्रगट की। इस पर श्रीकृष्ण ने बताया कि एक कल्प में दक्ष प्रजापति की एक कन्या काली थीं, जिनका रंग काला था। उनका विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था। एक समय जब भगवान शिव विष्णु के साथ विराजमान थे, तभी शिवजी ने हंसते हुए भगवती काली प्रिय गौरी कहकर पुकारा। इसे सुनकर भगवती काली क्रोधित हो गईं। वह ये कहकर रोने लगीं कि शिवजी ने रंग की वजह से मेरा उपहास किया, इसलिए अब मैं अपनी इस देह को अग्नि में प्रज्वलित कर दूंगी।
जब भगवान शंकर ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो देवी ने अपनी हरित वर्ण की कांति हरी दूर्वा आदि घास में त्याग कर अपनी देह अग्नि में हवन कर दी, जिसके बाद वे हिमालय की पुत्री गौरी नाम से जन्मी और शिवजी से विवाह किये। इसी दिन से मां पार्वती का नाम हरकाली हुआ, जो भगवान शिव व पार्वती को विशेष प्रिय माना जाता है।