स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: शारदीय नवरात्रि के पहले दिन से ही मां भगवती की मेरठ के विभिन्न मंदिरों में धूमधाम से पूजा-अर्चना की जा रही है। जबकि मेरठ में मिनी बंगाल की पूजा-अर्चना सबसे खास है। दरअसल मेरठ सदर के दुर्गाबाड़ी में पिछले कई सालों से बंगाली समाज के लोग रहते हैं। ये लोग भले ही रहते मेरठ में हों, लेकिन इनकी परंपराएं, पूजा-पाठ और त्योहार आज भी पश्चिम बंगाल की तरह मनाए जाते हैं। जानकारी के अनुसार, बंगाली परिवारों की ये 216 साल पुरानी परंपरा है, जिसे वह आज भी निभाते आ रहे हैं। शुरू-शुरू में जब यहां बंगाली परिवार आए थे, तो पहले एक दो बार बंगाल में जाकर पूजा-अर्चना करनी पड़ी थी। हालांकि 1807 के बाद से धीरे-धीरे यहीं पर पूजा शुरू कर दी, तब से लेकर अब तक भव्य रूप से यहां मां भगवती की पूजा की जाती है। बंगाली परिवारों द्वारा मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए विशेष रूप से बंगाल के ही मूर्तिकार बुलाए जाते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी से मूर्ति बनाने का कार्य शुरू हो जाता है। नवरात्रि तक मां दुर्गा की भव्य मूर्तियां बनाकर तैयार कर दी जाती हैं। इसमें मां लक्ष्मी, सरस्वती, भगवान कार्तिक, भगवान गणेश और मां दुर्गा महिषासुर का वध करते हुए दिखाई देती हैं। मान्यता है कि मां भगवती इन नवरात्रि में मायके आती हैं। ऐसे में उनका भव्य रूप से स्वागत किया जाता है। इस दौरान बंगाली महिलाएं सिंदूर खेला और सिंदूरदान करती हैं। इसको लेकर ये मान्यता है कि पति की आयु बढ़ती है। इसके साथ ही घुनूची डांस सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। चाहे बंगाली परिवार का कोई सदस्य किसी भी प्रांत में नौकरी क्यों ना कर रहा हो, लेकिन पूजा के समय सभी लोग उपस्थित रहते हैं।