एएनएम न्यूज़,ब्यूरो : दुर्गा पूजा या दुर्गोत्सव पांच दिवसीय उत्सव है जो षष्ठी से शुरू होता है और विजयदशमी पर समाप्त होता है। पांच दिन हैं षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी। दुर्गा पूजा उत्सव में देवी दुर्गा की मूर्तियों के साथ विशाल पंडाल स्थापित किए जाते हैं और भक्त बड़ी संख्या में देवी की पूजा करने के लिए आते हैं। पूरे भारत में विभिन्न विषयों पर पंडालों के साथ मनाया जाता है। लेकिन दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल में एक प्रमुख त्योहार है, और बंगाल में छोटे छोटे गांयो में भी दुर्गा पूजा के लिए धूम देखा जाता है। छोटे छोटे गांयो में भी ख़ास थीम से दुर्गा माता की मूर्ति और पंडाल को सजाया जाता है। ऐसे ही एक नजारा देखने को मिल रहा है बंगाल के आसनसोल के ऊपर कुल्टी पुनुड़ी ग्राम में। जहा इस साल दुर्गा पूजा 29 वर्ष हो गया और इस 29 वर्ष में जितने भी ख़ास थीम बने है, उन सभी थीमो को लेकर एक साथ एक थीम बनाया गया है। इस साल दुर्गा मूर्ति बनाया गया है धान, बालू , सरसो, होगला पत्ता, ताल पत्ता और चाय पत्ती से। बहुत ही शानदार रूप दिया है माता की मूर्ति को।
सबसे खाश बात है कि यहां मूर्ति बनाने वाला शिल्पी और बहुत सारे सह शिल्पी ने इस मूर्ति को बिना पारिश्रमिक में बनाया है, मतलब मूर्ति बनाने के लिए शिल्प ने एक भी रूपया नहीं लिया है। मूर्ति बनाने वाला शिल्पी का नाम है शारित चक्रबर्त, जो इस गाय के ही स्थानीय बासिन्दा है और सारे सह शिल्पी पुनुड़ी ग्राम के ही युवक है। इस मूर्ति को बनाने के लिए लगभग 70 हजार खरच हुआ है सिर्फ सामग्री के लिए।
2022 में पुनुड़ी ग्राम सर्बजनिन दुर्गा पूजा कमेटी ने इस साल और एक ख़ास उद्वेग लिए थे, वह है एक शानदार पंडाल तैयार करना, जो वहा के स्थानियों युवको ने आपने हातो से तैयार किया है, नाकि कोई बहार के मिस्त्री द्वारा। इस का मतलव ख़ास थीम का दुर्गा प्रतिमा और शानदार सजावट वाला पंडाल दोनों ही गांयो के स्थानियों लोगो द्वारा तैयार किया गया है। साथ ही यहां सेवानिवृत्त सूबेदार देबदुलाल घोष के हातो से फीता कटवा के दुर्गा पूजा की उद्बोधन किया और दीप प्रज्वलन किया। ख़ास बात है कि 29 वर्ष में पहली बार इस गांय में कोई सेना अफसर ने कोई पूजा की उद्बोधन किया और दीप प्रज्वलन किया। यह थीम की मूर्ति दुर्गा पूजा के बाद भी कुछ दिनों तक दिखने को मिलेगा।