कैसे हुई भाईदूज की शुरुआत

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कैसे हुई भाईदूज की शुरुआत

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: दिवाली के 5 दिनों के त्योहार की समाप्ति होती है भाईदूज के त्योहार से। भाईदूज का पर्व भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व दीपावली से दो दिन बाद यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को पड़ता है। भाईदूज यम द्वितीया, भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।


एक प्रचलित कथा के अनुसार एकबार यमलोक स्वामी यमराज अपनी बहन यमुना से लंबे समय बाद भेंट के लिए जाते हैं। यमुना जी भाई यम को अचानक इतने बाद देखकर बहुत प्रसन्न होती हैं और भाई का खूब आदर सत्कार करती हैं। बहन यमुना द्वारा किए गए सेवा-सत्कार से यमराज प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने को कहते हैं। तब यमुना जी वरदानस्वरूप भाई यमराज से सभी प्राणियों को अपने भय से मुक्त करने का वचन मांगती है लेकिन यम ऐसा सुन कर बोले यदि सभी उनके भय से मुक्त होकर मृत्यु से वंचित हो गए तो पृथ्वी इन सभी को कैसे सह पाएगी। संसार में संकट आ जाएगा। 

तब कोई और वर मांगने को कहा। तभी यमुना कहती हैं कि उन्हें ये आशीर्वाद प्रदान करें कि इस शुभ तिथि के दिन जो भी भाई-बहन यमुना में स्नान कर इस पर्व को मनाएंगे, वह अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाएंगे। इस पर प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को ये वरदान दिया और तभी से इस दिन को यम द्वितीया और भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा।