स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: एक दिन कृष्णजी ने देखा के सभी ब्रजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे है। जब उन्होंने यशोदा मां से जानने की कोसिस की, तो मैय्या ने बताया कि देवराज इंद्र को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा की जा रही है, ताकि वर्षा हो, जिससे अन्न की पैदावार हो और गायों को चारा मिले। इस पर कृष्णजी ने कहा कि हमारी गाय तो गोवर्धन पर्वत पर चरने के लिए जाती हैं, हमें तो उनकी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा आरंभ कर दी, लेकिन इस पर इंद्रदेव क्रोधित हो गए। उन्होंने घनघोर वर्षा शुरू कर दी। इतनी भयंकर वर्षा की कि समूचा ब्रज मंडल डूबने लगा। यह देख भगवान श्रीकृष्ण ने ग्वाल-वालों की सहायता से अपनी कनिष्ठा उंगुली पर सप्तकोसी परिधि वाले विशालकाय गोर्वधन पर्वत को धारण कर लिया और जिसके नीचे समस्त ब्रजवासियों ने आश्रय प्राप्त किया।