स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: इंद्र कृष्णजी और ब्रजबासीओ को गोवर्धन पर्वत का पूजा करने की लीला देखकर क्रोधित हुए और उन्होंने वर्षा का प्रकोप तेज कर दिया। लेकिन भगवान श्रीहरि भी सुदर्शन चक्र से बताया गोवर्धन पर्वत के ऊपर छत्र बनाकर वर्षा की गति को नियंत्रित करने और शेषनाग से बताया पर्वत के ऊपर एक मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की तरफ आने से रोकने । लगातार 7 दिन तक मूसलाधार बारिश करने के बाद इंद्र को यह एहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता है , वो तुरंत ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और पूरी बात बताई। तब ब्रह्मा जी ने बताया कि कृष्ण कोई साधारण मानव नहीं है, वो स्वयं श्रीहरि हैं। यह सुनकर इंद्र को खुद लज्जा आई और उन्होंने तुरंत कृष्ण जी से क्षमा मांगी। देवराज इंद्र ने मुरलीधर कृष्ण की पूजा कर उन्हें भोग लगाया।