स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज : 40 और 50 के दशक में भारत जब अंग्रेजों की पराधीनता से बाहर निकलने के लिए कड़ी जद्दोजहद कर रहा था, तब पंजाब के जनरल मोहन सिंह ने 15 दिसंबर 1941 को आजाद हिंद फौज की स्थापना की और बाद में 21 अक्तूबर 1943 को उन्होंने इस फौज का नेतृत्व सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिया था और उनको आजाद हिंद फौज का सर्वोच्च सेनापति भी घोषित कर दिया गया।
जनरल मोहन सिंह का कहना था कि अंग्रेजों की सैनिक ताकत का मुकाबला करने के लिए एक अलग सेना की बहुत जरूरत है। तब इसके लिए उन्होंने जापान से मदद हासिल करने का सुझाव भी नेताजी के सामने रखा था। फौज के तिरंगे झंडे में दौड़ते हुए शेर का चित्र अंकित किया गया, जो फौज की वीरता का प्रतीक था।