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एएनएम न्यूज़, ब्यूरो : भारत के आत्मगौरव को ऊँचा करने हेतु अनुवाद की अत्यंत आवश्यकता है। अनुवाद विविध भाषाओं व साहित्य को जोड़ने में एक सेतु की भूमिका निभाता है। एक प्रांत के साहित्य को, अन्य भूभाग के पाठकों तक पहुँचाने के लिए एक अनुवादक की भूमिका अवर्णनीय है।
साधारण रूप में एक लेखक यदि अनुवाद नहीं करता है तो वह अपनी ही परिधि में रह जाता है। अर्थात्, सार्थक, यथार्थ तथा व्यापक अनुवाद से पाठकों को अपनी पसंद की पुस्तक मिल जाती है,यह आज इस विश्व अनुवाद दिवस पर भुवनेश्वर, ओड़िशा में आयोजित प्रथम राष्ट्रीय अनुवादक सम्मेलन के भव्य आयोजन में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुआ। विश्व अनुवाद दिवस पर भारतीय अनुवाद साहित्य अनुष्ठान के सौजन्य से, गीत गोविन्द सदन के परिसर में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में विशिष्ट अनुवादक डॉ. शंकरलाल पुरोहित जी ने मुख्य अतिथि के रूप में योगदान देकर इस सुंदर आयोजन का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह में ओड़िआ भाषा साहित्य संस्कृति विभाग के निर्देशक प्रतिष्ठित कवि रंजन कुमार दास जी विशिष्ट अतिथि, सुविख्यात अनुवादक डॉ. ज्ञानेश्वर मनोहर मुले जी मुख्य वक्ता एवं ओड़िशा साहित्य अकादमी के उपसभापति डॉ. संग्राम जैना जी ने सम्मानित अतिथियों के रूपमें योगदान देकर अनुवाद साहित्य के बारे में गभीर ओर गंभीर आलोचना किए ।
अनुवादक आद. राधु मिश्र जी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में उत्सव-निर्देशक शरत चंद्र आचार्य जी सम्मेलन के बारे में अनेक जानकारियां प्रदान करते हुए "भारतीय अनुवाद साहित्य " के लक्ष तथा भविष्य कार्यक्रम को लेकर कार्यसूची अपस्धापित किया। इस समारोह में प्रथम बार भारत की विविध भाषाओं के अनुवादकों की परिचय पुस्तिका" अनुसृजक" एवं अनेक अनुवादकों की विविध भाषाओं में अनूदित पुस्तकों का भी भव्य विमोचन हुआ। तत्पश्चात् अनुवाद साहित्य से संबंधित तीन आलोचना सत्रों में एवं दो बहुभाषी अनूदित काव्यपाठ के सत्रों में ओड़िशा एवं अन्य राज्यों से आमंत्रित अनुवादकों डॉ असीत महान्ती, डॉ भगबान त्रिपाठी,सुखेन्दू दास, डॉ स्नेहप्रभा दास,श्यामली सेनगुप्त,भी.एस.जोगलेकर,प्रबासिनी महाकुड,बिजय प्रधान,हरेकृष्ण दास, डॉ ज्ञानी देबाशिष मिश्र प्रमुख आलोचकों के तौर पर ओर सनातन महाकुड,संगीता रथ,बंगाली नंद,अस्विनी सूतार अनिमा दास आदि २५ कवि, कवयित्री अपनी प्रभावी रचनायें प्रस्तुत कीं। डॉ जगमोहन आचार्य,मिता पट्टनायक,जयश्री दोरा, पवित्र महान्ति,दिल्लीप साहु इस सारस्वत कार्यक्रम को संचालित किए। अपराह्न में उद्यापन समारोह में विशिष्ट कवि सम्पादक तथा अनुवादक आद. मानस रंजन महापात्र जी ने अध्यक्षता की एवं प्रतिष्ठित कवि सॉनेटियर तथा अनुवादक डॉ.विनीत मोहन औदिच्य जी मुख्य अतिथि, अनुवादिका श्रद्धांजलि कानूनगो मुख्य वक्ता एवं प्रो. राजेंद्र कुमार पाढ़ी तथा आद. कनक मंजरी साहू सम्मानित अतिथि के रूपमें मंच को सुशोभित किया व अपना विशिष्ट योगदान दिया।
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