सरकारी डॉक्टरों के भरोसे चल रहे है प्राइवेट अस्पताल

author-image
Harmeet
New Update
सरकारी डॉक्टरों के भरोसे चल रहे है प्राइवेट अस्पताल

एएनएम न्यूज़, ब्यूरो : मेरी एक मुँहबोली बहन अपनी माँ को कोरोना संक्रमण के वजह से हालत बिगड़ने पर कुल्टी के एक नामी अस्पताल में भर्ती करवाया था। सबसे पहले तो जब अस्पताल में ले जाया गया रिसेप्शन में कहा गया के बेड खाली नहीं है, शायद उनको लगा की पेशेंट पार्टी के पास स्वस्थ साथी कार्ड है। थोड़ी देर बाद जब मेरी बहन पहुंची तो उसका वेश-भूषा देखकर "पेशेंट पार्टी" को तुरंत उसे पचीस हज़ार रुपये जमा करवाने को कहा गया। अब माँ तो माँ होती है और माँ को बचाने के लिए बेचारी ने पैसे जमा करवा दिए। फिर क्या था काकी माँ को आईसीयु में भर्ती करवाया गया और अस्पताल में जितने टेस्ट होते है सारा करवा दिया गया (महंगे मशीन का इन्सटॉलमेंट भी तो भरना होता है) और सिर्फ टेस्ट का बिल बना करीब बारह हज़ार रुपये।

डॉक्टर साहब का इंतज़ार होने लगा और करीब 6/7 घंटो बाद उनके दर्शन हुए, बहन गिड़गिड़ाने लगी, डॉक्टर साहब गंभीर मुद्रा में बिना कुछ कहे पेशेंट को देखने आईसीयु में चले गए और पेशेंट पार्टी बहार इंतज़ार करती रही। आधे घंटे बाद डॉक्टर साहब बहार निकल कर बोले "ओबोशता भलो नेइ, 72 घोंटा ऑब्जरवेशन ए रखते होबे, टेस्ट एर रिपोर्ट आसुक "। दुसरे दिन टेस्ट का रिपोर्ट आता है पर मेरी बहन को कुछ नहीं पता चलता, रिपोर्ट सीधे डॉक्टर साहब के चैम्बर में चला जाता है और मेरी बहन को रिसेप्शन से फ़ोन आता है "आपका बिल बाकी है आकर पेमेंट करिये" (सिर्फ ये बात ही अस्पताल की तरफ से प्यार से बोलै जाता है)। मेरी बहन जब बिल देखती है उसमे देखती है कि सिर्फ 32 घंटो में सिर्फ डॉक्टर साहब की फीस तीन हज़ार पांच सौ है, पूछने पर बताया गया "साहब ने आपके पेशेंट को 5 बार देखा है"। आप क्या जानना चाहते कि यह डॉक्टर साहब किस सरकारी अस्पताल में काम करते है ?? आपको दुसरे दिन बताऊंगा। आपसे विनती है कि अगर आप के साथ भी ऐसी दुर्घटना घटी है तो हमे इनबॉक्स कर के ज़रूर बताये।