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एएनएम न्यूज, ब्यूरो: पश्चिम बंगाल का आसनसोल क्षेत्र, जो अपनी समृद्ध पुरानी ऐतिहासिक परंपराओं के कारण पूरे देश में एक अलग पहचान रखता है, यहां रहने वाले लोग अपने आपसी भाईचारे और दोस्ती के मामले में भी अलग हैं। इसी प्यार और मोहब्बत के बिच आसनसोल बर्नपुर इलाके मे रह रहा एक किन्नर परिवार इन दिनों काफी चर्चे मे है। चर्चे मे इसलिए की भले ही यह परिवार शादी समारोह व विभिन्न प्रकार के त्योहारों व लोगों की खुशियों मे शामिल होकर लोगों से मिली बक्शीस के पैसों को जमाकर वापस उन्ही लोगों की खुशियों को चार-चाँद लगाने मे अपनी कोई कसर नही छोड़ते। समाज के प्रति बिना स्वार्थ के लोगों की मदद करना उनके हर सुख-दुख मे हिस्सा बनना उनकी एक अलग ही पहचान बनाती है।
19 फरवरी 2020 मे कोरोनाकाल के शुरुआती दिन मे ही इस किन्नर समाज की मुखिया मीणा मासी का देहांत होने के बाद जब इलाके के लोगों को लगा की अब उनके सर से एक नेक दिल मसीहा का हाथ हमेशा-हमेशा के लिए उठ गया, तब मीणा मासी की शिष्य सुनीता खुदको सँभालते हुए अपने समाज के करीब बीस से अधिक सदस्यों का सहारा बन उनका मनोबल बढ़ाते हुए आगे आई और अपनी गुरु अपनी मुखिया मीणा मासी का सारा कार्यभार संभाला। उन्होंने इलाके के लोगो व अपने समाज के सदस्यों को यह कभी महसूस नही होने दिया की उनकी मुखिया मीणा मासी का साया उनके सर से हमेशा-हमेशा के लिए उठ गया है।
सुनीता कहती हैं की उनकी गुरु मीणा मासी लोगों की हर तरह की मदद तो करती ही थी, साथ मे वह हर तरह के धार्मिक अनुष्ठानों मे हिस्सा बनकर उसमे चढ़बढ़कर दानपुन भी करती थी। उन्होने कहा उनकी गुरु मीणा मासी छठ भी करती थी, छठ के दौरान वह छठ व्रतियों को इंख, नारियल, साड़ी और सिंगार का सामान देने के साथ-साथ अरग के दूसरे दिन भंडारे का भी आयोजन करवाती थीं। इसके आलावा इलाके मे जागरण व कृतन का भी अनुष्ठान करवाती थी। गुरु के निधन के बाद भले ही वह छठ पूजन नही करती क्योंकि उनके गुरु ने उनको छठ नही दिया, पर वह हर वर्ष छठ के पावन अवसर अपनी गुरु मीणा मासी की याद मे छठ ब्रतियों के बिच पूजन सामग्री जरूर वितरित करती हैं, जिसमे वह हर छठ व्रतियों को एक साड़ी, इंख, नारियल और सिंगार का सामान वित्रण करती हैं। सुनीता कहती हैं की जिस तरह उनकी गुरु उनकी मुखिया मीणा मासी समाज सेवा करती थीं, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों मे वह भाग तो लेती ही थी साथ मे वह आर्थिक रूप से मदद भी करती थी, ठीक उसी तरह वह भी अपने गुरु के रास्ते पर चलेंगी और लोगों को उनकी कमी कभी भी महसूस नही होने देंगी। वह यह भी कहती हैं की उनकी गुरु ने उनके साथ-साथ उनके समाज के तमाम सदस्यों को यही सिखाया है, की समाज की सुख-दुख मे अगर वह शामिल होंगी तभी समाज भी उनके हर सुख-दुख मे उनके पीछे खड़ा होगा। गुरु के द्वारा दिखाया गया दिशा और निर्देश ही उनके जीवन मे सबसे बड़ा महत्व रखता है और वह तबतक अपने गुरु के द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलती रहेंगी जबतक वह जीवित हैं।
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