स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: गोपाष्टमी का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए उनकी पूजा करने से भक्त को सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल गोपाष्टमी 1 नवंबर, मंगलवार को है। यह त्योहार विशेष रूप से वृंदावन और मथुरा में धूमधाम से मनाया जाता है।
उत्तम मुहूर्त- गोपाष्टमी के दिन अभिजीत मुहूर्त का निर्माण हो रहा है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। यह पूजन के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त माना गया है।
गोपाष्टमी का महत्व- सनातन धर्म में गाय, गंगा, गायत्री, गीता, गोवर्धन व गोविंद पूज्य हैं। शास्त्र कहते हैं कि सर्वे देवा: स्थिता देहे सर्व-देवमयी हि गौ अर्थात गाय की देह में समस्त देवी-देवताओं का वास है। अत: यह सर्वदेवमयी है। गाय के गोबर में लक्ष्मी, गोमूत्र में भवानी, चरणों में देवता, रंभाने में प्रजापति और थनों में समुद्र बसते हैं। पद्म पुराण के अनुसार गौमुख में चारों वेदों, सींगों में शंकर व विष्णु, उदर में कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्मा, ललाट में रुद्र, नेत्रों में सूर्य व चंद्र आदि तैंतीस कोटी देवी-देवता विराजमान हैं। बताया कि गोपाष्टमी पर व्रत रखकर गाय की पूजा-अर्चना करने से गोविंद की कृपा मिलती है। वास्तव में गोपाष्टमी गाय के पूजन का पवित्र दिन है।