एएनएम न्यूज़, कनक: अफगानिस्तान, जो वर्त्तमान में तालिबान का गुलाम है, से निरंतर कुछ न कुछ ऐसी घटनाएं सामने आ रही है जिसकी कल्पना शायद ही अफगानिस्तान ने कभी नहीं की होगी। तालिबान हमेशा से खुद इस्लामिक कट्टरवाद से भरा था मगर अब वो अपने कट्टरतावाद के दायरे को बढाकर अफगानिस्तान तक पंहुचा दिया है। 12वी शताब्दी जहॉ पूरी दुनिया महिलाओं को सशक्त करने में लगी है और महिलाये बड़ी बड़ी उचाइयां को छू रही है वही दूसरी तरफ तालिबान सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया जहा महिलाये चार दवारी में बस कैद होकर रह जाएँगी। पहले ही एसजेएसयू के मानवाधिकार संस्थान की कोर फैकल्टी सदस्य और अफगानिस्तान पर एक विद्वान, हलीमा काजेम-स्टोजानोविक ने कहा, "अफगान महिलाएं और लड़कियां अपने अधिकारों और सपनों के पतन और अपने बुनियादी अस्तित्व के लिए जोखिम दोनों का सामना कर रही हैं।" "वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा तालिबान के दुर्व्यवहार और कार्यों के बीच फंस गए हैं जो अफ़गानों को हर दिन हताशा में धकेल रहे हैं।"
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अब अफगानिस्तान में निजी और सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर तत्काल प्रभाव से और अगली सूचना आने तक प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही सिविल सेवा में नेतृत्व के पदों से भी बर्खास्त कर दिया गया है। यह जानकारी अफ़ग़ान एजेंसी TOLO न्यूज़ ने मंगलवार को ट्वीट कर दी।