महामारी में चीनी सामानों ने तोड़ी भारतीय संस्कृति की कमर

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महामारी में चीनी सामानों ने तोड़ी भारतीय संस्कृति की कमर

टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: महामारी के चलते आम लोगों के जीवन में आए आर्थिक संकट का फायदा उठाकर भारतीय संस्कृति को पीछे छोड़ते हुए चीनी सामानों की बाजार में हिस्सेदारी काफी तेजी से बढ़ रही है। बाजारों में चाइनीज लाइट्स का बोलबाला है। व्यापार में मंदी के कारण मिट्टी के दीये बनाने वालों से लेकर विक्रेताओं तक के समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो गया है। कालीपूजा और दिवाली में प्राचीन काल से घी और सरसों के तेल के दीपक जलाए जाते रहे हैं। इस समय पूरे घर में दीये जलाकर घर को रौशन किया जाता है।

आम आदमी के लिए यह कहना है कि तेल और अन्य वस्तुओं की कीमतें जिस तेजी से बढ़ गई है उससे अब यह संभव नहीं है। भारतीय संस्कृति की प्राचीन परंपरा को ध्यान में रखते हुए नियमों की रक्षा के लिए इसी वर्ष दीवाली पर कुछ दीपक जलाए जाएंगे। यह केवल नियमों की रक्षा के लिए किया जाएगा।

दीपक नहीं बिकने से कुमार पारा निवासी स्वाभाविक रूप से निराश हैं। उनका कहना है कि दुकानदारों ने उन्हें इस साल दीया बनाने का आर्डर नहीं दिया। दिवाली पर मिट्टी के दीये बेचकर साल भर घर चलाते हैं। इस साल बिक्री कम होने से उन्हें अत्यधिक आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। हमारे संवाददाता ने जब इस संदर्भ मे एक दीया विक्रेता से बात की तो उन्होंने कहा कि इस साल दीयों की बिक्री पर खासा असर पड़ा है। पिछले साल के मुकाबले इस साल दियों की बिक्री ना के बराबर है जो कि उनके लिए काफी निराशाजनक है। वहीं जमुड़िया निवासी विश्वनाथ यादव ने कहा कि सरसों के तेल सहित सभी चीजों की कीमतें जिस तेजी से बढ़ रहीं हैं उससे लोगों के लिए तेल या घी के दीए जलाना असंभव हो गया है। दुसरी तरफ चाईना लाईटस काफी आसानी से बाजारों में उपलब्ध हैं और उनकी कीमत भी काफी कम है। यही वजह है कि लोग दीयों के बजाय चाईना लाईटस का रुख कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि चाईना लाईटस कभी भी हमारे संस्कृति का हिस्सा नहीं बन सकते लेकर तेल घी सहित रोजमर्रा की चीजों की कीमतों में बेताहाशा वृद्धि के कारण लोग चाईना लाईटस खरीदने को मजबूर हैं। उन्होंने इसके लिए पुरी तरह से केंद्र की भाजपा सरकार की गलत आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।