एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: पेरिस ओलंपिक अभी-अभी समाप्त हुआ है और कुछ ही दिनों बाद पैरा ओलंपिक शुरू होने जा रहा है। इस प्रतियोगिता में वे प्रतिभागी भाग लेते हैं जो विशेष रूप से सक्षम होते हैं।
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लेकिन विशेष रूप से सक्षम होने के बावजूद उनका मनोबल कभी नहीं टूटा। जीवन की राह में आने वाले कांटों को उखाड़कर वे अपना रास्ता खुद ही आसान बना लेते हैं। आज ऐसी ही एक विशेष योग्यता के बारे में जानते हैं। वह हैं महिला तैराक कंचनमाला पांडे। उनकी जीवन गाथा, लगन और मेहनत हमें प्रेरित करेगी। कंचनमाला पांडे ने विश्व पैरा-तैराकी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया।
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कंचनमाला ने अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर 120 से अधिक पदक जीते हैं। जिनमें से 115 स्वर्ण, 4 रजत और 1 कांस्य पदक हैं। लेकिन वह यहीं नहीं रुकना चाहतीं। उनके शब्दों में, "मैंने विश्व चैंपियनशिप के लिए अच्छी तैयारी की है। मैंने मैक्सिको में अच्छा प्रदर्शन किया और कम से कम पदक की उम्मीद कर रही थी। लेकिन स्वर्ण पदक जीतना वाकई आश्चर्यजनक है।''
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कंचनमाला पांडे की कहानी सुनकर दिल में उत्साह की लहर दौड़ जाती है। उनसे प्रेरित होकर आने वाले दिनों में और भी कई दिव्यांग लोग अपनी जीवन गाथा अलग तरीके से लिखने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
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