एएनएम न्यूज, ब्यूरो : शुक्रवार की रात और सोमवार की सुबह के बीच हिमांशु शेखर दादा सोए नहीं थे। ओडिशा (Odisha) के बालासोर ( Balasore) में ट्रेन दुर्घटना (Train Accident) स्थल से लगभग 10 किमी दूर सोरो में एक दवा की दुकान के मालिक दादा शहर के सरकारी अस्पताल में मृतकों और घायलों को ले जा रहे थे। वह कई बार एंबुलेंस में मरने वालों के साथ गए या रिश्तेदारों को अपने प्रियजनों के शवों का पता लगाने में मदद की। सूत्रों के मुताबिक आखिरी रविवार की रात थी, ओडिशा पुलिस और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के कर्मियों द्वारा दुर्घटना स्थल के करीब रेलवे पटरियों के पास एक 26 वर्षीय व्यक्ति को जीवित पाया गया। दादा को पुलिस का फोन आया और वह कुछ अन्य लोगों के साथ उन्हें सोरो के अस्पताल ले जाने के लिए दौड़ पड़े। कुछ नींद पकड़ने का फैसला करने से पहले वह आखिरी था और संघर्ष किया।
दादा ने बताय कि “तीन रातों के बाद, जब मैंने सोमवार सुबह अपनी आँखें बंद कीं, तो टूटे हुए हाथ, फटे पैर और क्षतिग्रस्त खोपड़ियों की छवियां मुझे मारती रहीं। मैंने सोने के लिए संघर्ष किया। मुझे अकेले 23 लाशों को संभालना याद है।”