गरीब महिलाओं को मिल रही आजीविका

 तमाम सरकारी व गैर सरकारी प्रयासों के बाद भी अपना देश निर्धनता के दंश से अभी तक उबरा नहीं है और गरीबी उन्मूलन जैसे सरकारी कार्यक्रम एक ख्याली नारा बनकर रह गया। ग्रामीण भारत की एक बड़ी आबादी आज भी आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है।

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Kalyani Mandal
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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: तमाम सरकारी व गैर सरकारी प्रयासों के बाद भी अपना देश निर्धनता के दंश से अभी तक उबरा नहीं है और गरीबी उन्मूलन जैसे सरकारी कार्यक्रम एक ख्याली नारा बनकर रह गया। ग्रामीण भारत की एक बड़ी आबादी आज भी आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है। भुखमरी, कुपोषण, अशिक्षा से अब भी हमारा देश पीड़ित है और इन सब समस्याओं से सबसे अधिक प्रभावित है आधी आबादी व उनके बच्चे। निर्धन परिवार का मुखिया आर्थिक उपार्जन करता है और शेष सदस्य उस पर निर्भर रहते हैं। किसी भी निम्न परिवार की तरक्की तभी संभव है, जब उस घर की महिलाएं भी आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बने। एसएचजी ने ग्रामीण क्षेत्रों की निर्धन महिलाओं में आत्मविश्वास व सम्मान का भाव जगाया है। उन्हें स्वावलंबी (Independent) व सशक्त बनाया है। इसने महिलाओं के लिए आजीविका (livelihood) के साधन उपलब्ध कराकर सकारात्मक बदलाव की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है।