एएनएम न्यूज़ , ब्यूरो : बस्तर में सियासी संग्राम शुरू हो चुका है और इस बीच राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को लेकर भी आरोप प्रत्यारोप पद और जारी है। जिस तरह से 2018 के बाद से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की हत्या (Murder) हो रही है। इससे भाजपा (BJP) के नेता नक्सल प्रभावित इलाकों में काम करने में कैसा है महसूस कर रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि नक्सलियों के निशाने में भारतीय जनता पार्टी के नेता ही क्यों हैं।
बीजापुर में भारतीय जनता पार्टी के नेता कार्यकर्ता नक्सली निशाने (target of Naxalites) पर हैं। बीजापुर (Bijpur) के कुटरु में भारतीय जनता पार्टी के नेता रमेश गोटा की अपहरण कर हत्या की कोशिश के मामले में फिर सियासत गरमा गई है। चार महीने पहले ही अमित शाह के दौरे के दौरान भारतीय जनता पार्टी के कुटरु मंडल के नेता को भी नक्सली धमकी मिली थी, जिसके बाद उसने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इधर रमेश गोटा के अपहरण के बाद से फिर भाजपा नेता अपने कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर चिंतित दिखाई दे रहे हैं। हालांकि कांग्रेस (Congress) नेताओं का कहना है इन हत्याओं को भाजपा सियासी मुद्दा बना रही है, जबकि नक्सली हत्या कांग्रेसियों की भी होती रही है।